समाज की मुख्यधारा में लाने की सरकार की कोशिश, एक बड़े नक्सली पर दर्ज केस वापस होंगे

झारखंड सरकार ने नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने की काेशिश शुरू कर दी है, जिसके तहत समर्पण करनेवालाें पर दर्ज मामले वापस लिये जा सकते हैं. जानकार इसे राज्य आैर देशहित में सरकार की अच्छी पहल मान रहे हैं. रांची: समाज की मुख्यधारा में शामिल होनेवाले प्रतिबंधित संगठन भाकपा माओवादी के नक्सलियों के खिलाफ दर्ज […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 7, 2015 5:20 AM
झारखंड सरकार ने नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने की काेशिश शुरू कर दी है, जिसके तहत समर्पण करनेवालाें पर दर्ज मामले वापस लिये जा सकते हैं. जानकार इसे राज्य आैर देशहित में सरकार की अच्छी पहल मान रहे हैं.
रांची: समाज की मुख्यधारा में शामिल होनेवाले प्रतिबंधित संगठन भाकपा माओवादी के नक्सलियों के खिलाफ दर्ज मामले सरकार वापस कर सकती है. इसकी प्रक्रिया भी शुरू कर दी गयी है. इस क्रम में सरकार ने स्पेशल एरिया कमेटी (सैक) रैंक के एक नक्सली के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस करने का फैसला लिया है. इस सिलसिले में सरकार के स्तर से पलामू, लातेहार व लोहरदगा के उपायुक्त को पत्र भी लिखा गया है, जिसमें कहा गया है कि मुकदमा वापसी के लिए लोक अभियोजक को निर्देश दें. ताकि वह सीआरपीसी की धारा 321 के तहत कार्रवाई शुरू करें.
डीजीपी ने अनुशंसा सरकार को भेजी : बड़े नक्सली के खिलाफ मुकदमा वापस करने का फैसला उन्हें मुख्यधारा में लाने व राज्य में सुरक्षा का वातावरण तैयार करने के मद्देनजर राज्य व देशहित में लिया गया है. जानकारी के मुताबिक, भाकपा माओवादी के सैक सदस्य के खिलाफ दर्ज मामला को वापस करने के लिए खुद नक्सली व उसके एक परिजन ने आवेदन दिया है. इसी आधार पर मुकदमा वापसी की अनुशंसा पुलिस मुख्यालय को भेजी गयी थी. इन अनुशंसाआें की समीक्षा करने के बाद डीजीपी डीके पांडेय ने अपनी अनुशंसा सरकार को भेज दी है.
25 लाख का है इनाम : जिस सैक सदस्य पर दर्ज मामलों को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू की गयी है, उस पर 25 लाख रुपये का इनाम है. हाल ही में सरकार ने भाकपा माओवादी के सैक सदस्यों पर 25 लाख रुपये इनाम की घोषणा की थी. सरकार ने पुनर्वास नीति के तहत ये फैसले लिये हैं.
25 लाख का इनामी है सैक रैंक का नक्सली
क्या-क्या मिलेगा
सरकार की सरेंडर पॉलिसी के मुताबिक, जोनल कमांडर व उससे ऊपर के नक्सलियाें के सरेंडर करने पर पुनर्वास अनुदान के रूप में पांच लाख रुपये देने का प्रावधान है. इसमें से एक लाख रुपये का भुगतान तत्काल किया जाना है, जबकि शेष चार लाख रुपये का भुगतान सरेंडर करने के एक वर्ष व दो वर्ष पूरा होने पर दो किस्तों में किया जाना है. सरेंडर करनेवाले नक्सलियों को व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए एक वर्ष तक पांच हजार रुपये प्रति माह दिया जायेगा. ऐसे नक्सलियों के बच्चों की शिक्षा के लिए प्रति वर्ष 25 हजार रुपये देने का भी प्रावधान है.
एक करोड़ का इनाम
सरकार ने हाल ही में भाकपा माओवादी पोलित ब्यूरो व केंद्रीय कमेटी सदस्याें (सीसी मेंबर) पर जारी 25 लाख रुपये की इनाम की राशि को बढ़ा कर एक करोड़ रुपये करने का फैसला लिया है. 23 सितंबर को सरकार ने इसकी अधिसूचना जारी की थी. सरेंडर पॉलिसी में समर्पण करनेवाले नक्सलियों को ही उसके ऊपर दी जानेवाली राशि देने का भी प्रावधान है.
आंध्र पुलिस वापस ले चुकी है तीन बड़े नक्सलियों के खिलाफ दर्ज मामले
वर्ष 2008 में भाकपा माओवादी की सेंट्रल कमेटी के सदस्य लंकापापी रेड्डी को इसी तरह सरेंडर कराया गया था.
वर्ष 2014 में भाकपा माओवादी के स्पेशल एरिया कमेटी के सदस्य जीवीके प्रसाद उर्फ गुदसा उसेंडी और कुकुला रविंद्र उर्फ अर्जुन के खिलाफ भी दर्ज मामले वापस लिये गये थे.

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