पर्यावरण संतुलन में न्यायपालिका को निभानी होगी अहम भूमिका

इन्वायरमेंटल इश्यू एंड क्लाइमेट चेंज विषय पर बोले जस्टिस तीरथ सिंह ठाकुर ज्यूडिशियल एकेडमी के नये भवन का उदघाटन रांची : सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेक इन इंडिया कैंपेन शुरू किया है. निवेशकों को देश में आमंत्रित किया जा रहा है. इसे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 11, 2015 1:20 AM
इन्वायरमेंटल इश्यू एंड क्लाइमेट चेंज विषय पर बोले जस्टिस तीरथ सिंह ठाकुर
ज्यूडिशियल एकेडमी के नये भवन का उदघाटन
रांची : सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेक इन इंडिया कैंपेन शुरू किया है. निवेशकों को देश में आमंत्रित किया जा रहा है. इसे लेकर आनेवाले समय में न्यायपालिका के साथ-साथ निवेशकों और पॉलिसी मेकर (नीति निर्धारकों) की भूमिका अहम होगी. निवेशकों को विश्वास दिलाना होगा कि उनके हितों की रक्षा होगी.
अगर विवाद होता है, तो उनके मामलों का निबटारा त्वरित गति से होगा. विकास कार्यों और पर्यावरण संतुलन में सामंजस्य स्थापित करने में न्यायपालिका को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी. जस्टिस ठाकुर शनिवार को धुर्वा डैम के समीप नवनिर्मित झारखंड ज्यूडिशियल एकेडमी के भवन के उदघाटन के बाद इंवायरमेंटल इश्यू एंड क्लाइमेट चेंज विषय पर आयोजित सेमिनार को संबोधित कर रहे थे़
क्लाइमेंट चेंज में भारत की भूमिका नहीं के बराबर : उन्होंने कहा : पर्यावरण को लेकर पूरा विश्व चिंतित है. पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान विकसित देश पहुंचा रहे हैं. क्लाइमेंट चेंज (जलवायू परिवर्तन) में भारत की भूमिका नहीं के बराबर है. भारत की तुलना में अमेरिका दस गुना अधिक कॉर्बन डायऑक्साइड का उत्सर्जन कर रहा है. यह पिछले 300 सालों से चल रहा है. इसके बावजूद अमेरिका कॉर्बन डायऑक्साइड के उत्सर्जन को कम करने के लिए तैयार नहीं है.
अमेरिकी कंपनियां ज्यादा जिम्मेदार : जस्टिस ठाकुर ने कहा : भारत में जहां औसतन एक वर्ष में प्रति व्यक्ति एक टन कॉर्बन डायऑक्साइड का उत्सर्जन होता है, वहीं अमेरिका में 10 टन कॉर्बन का उत्सर्जन किया जा रहा है. ओजोन लेयर को नुकसान पहुंचाने में यहां की कंपनियों अमेरिकी कंपिनयों की तुलना में कम जिम्मेवार हैं. उन्होंने कहा : विकास के साथ-साथ हमें पर्यावरण की देखभाल भी करनी होगी, ताकि आनेवाली पीढ़ी को हम स्वच्छ वातावरण दे सकें.
कानून में हो रहे संशोधन : जस्टिस ठाकुर ने कहा : समय के साथ-साथ कानून में कई संशोधन हो रहे हैं. जज किसी विषय के विशेषज्ञ नहीं होते हैं. ऐसे में जजों की क्षमता बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण जरूरी हो गया है. इसके लिए आधारभूत संस्थाओं का निर्माण भी जरूरी है. विवादों के निबटारे के लिए दोनों पक्ष सिंगापुर जाते हैं, क्योंकि यहां पर निबटारा त्वरित गति से होता है. हमें सिंगापुर के समकक्ष खड़ा होना होगा. मौके पर झारखंड हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विरेंदर सिंह ने स्वागत भाषण दिया़ जस्टिस आरआर प्रसाद ने धन्यवाद ज्ञापन किया.
क्या-क्या कहा न्यायमूर्ति ठाकुर ने
विकास कार्यों और पर्यावरण संतुलन में न्यायपालिका को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी
भारत से दस गुना अधिक कॉर्बन डायऑक्साइड का उत्सर्जन कर रहा अमेरिका
विकास के साथ-साथ हमें पर्यावरण की देखभाल भी करनी होगी
सीएम रघुवर दास ने की घोषणाएं
झारखंड हाइकोर्ट के नये भवन का निर्माण तीन साल में पूरा होगा
झारखंड हाइकोर्ट, सचिवालय समेत 40 भवन सौर ऊर्जा से संचालित होंगे
नमामि गंगे प्रोजेक्ट को पूरा करने में झारखंड देश का पहला राज्य बनेगा
नवबंर से शुरू हो जायेगा सिवरेज प्लांट का निर्माण
दामोदर नदी को प्रदूषण मुक्त कराया जायेगा
सौर ऊर्जा से गांवों में दी जायेगी बिजली
झारखंड में ग्रीन ट्रिब्यूनल की सर्किट बेंच खोलने पर सहमति
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के चेयरपर्सन सह सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश स्वतंत्र कुमार ने झारखंड में ग्रीन ट्रिब्यूनल की सर्किट बेंच खोलने पर सहमति जतायी. उन्होंने कहा : अगर आधारभूत संरचना उपलब्ध करायी गयी, तो झारखंड में सर्किट बेंच खोली जायेगी. इससे पहले झारखंड हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस विरेंदर सिंह ने झारखंड में ग्रीन ट्रिब्यूनल की बेंच खोलने का आग्रह किया था. कहा था कि यहां के लोगों को कोलकाता जाना पड़ता है.
सुप्रीम कोर्ट के सात जज थे मौजूद
मुख्यमंत्री रघुवर दास, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अनिल आर दवे, न्यायाधीश स्वतंत्र कुमार, न्यायाधीश फाकीर मोहम्मद इब्राहिम कलीफुल्ला, न्यायाधीश एमवाइ इकबाल, न्यायाधीश अर्जन कुमार सिकरी, न्यायाधीश शिव किर्ती सिंह, सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश ज्ञान सुधा मिश्र के अलावा हाइकोर्ट के वर्तमान न्यायाधीश, पूर्व न्यायाधीश व काफी संख्या में न्यायविद उपस्थित थे.

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