रांची: अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज ने कहा है कि अधिकार की लड़ाई रोज की लड़ाई है. अपने स्तर पर छोटे-छोटे संघर्ष रोज करना होता है. जन अधिकार यात्रा लोगों को जागरूक करने में सहायक सिद्ध हुई है. इस यात्रा का संदेश यह है कि लोग अपना अधिकार नहीं छोड़ेंगे. मिलकर लड़ेंगे अौर जीतेंगे. यह यात्रा किसी पार्टी, नेता या संगठन की नहीं है, बल्कि जनता की है. ज्यां द्रेज रविवार को जन अधिकार यात्रा के समापन के अवसर पर राजभवन के समक्ष आयोजित धरना में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि जनता से जुड़े अधिकार धीरे-धीरे छिन रही है.
पूर्व विधायक विनोद सिंह ने कहा कि यह यात्रा झारखंड के वंचित लोगों की लड़ाई है. खाद्य सुरक्षा, वनाधिकार कानून, मनरेगा जैसे कानूनों को जनता ने अपने संघर्ष के बल पर हासिल किया है. यह किसी सरकार की मेहरबानी का नतीजा नहीं है. आज इन कानूनों को भी कमजोर करने की कोशिश की जा रही है.
फादर स्टेन स्वामी ने कहा कि सरकार का विरोध करनेवालों के खिलाफ फरजी मुकदमा किया जा रहा है. आज राज्य भर में छह हजार से अधिक आदिवासी युवाअों को फरजी मुकदमे के आधार पर जेल में भेज दिया गया है. अनिल अंशुमन ने कहा कि राज्य सरकार का कहना है कि आदिवासियों की जमीन नहीं ली जा रही, पर खरसावां में सीआरपीएफ के बल पर जबरन जमीनें छीनी जा रही हैं. आंदोलनकारी दयामनी बरला, जेम्स हेरेंज सहित अन्य ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया. गौरतलब है कि जन अधिकार यात्रा एक अक्तूबर से शुरू हुई थी. यह यात्रा राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में गयी. यह रोजगार गारंटी व मनरेगा, खाद्य सुरक्षा कानून, जल जंगल जमीन पर हक, भूमि अधिग्रहण कानून, वन अधिकार अौर सामाजिक सुरक्षा पेंशन को लेकर आयोजित की गयी थी. इन मुद्दों को लेकर आंदोलन अौर तेज करने का संकल्प लिया गया.