भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती है मां अष्टादश भुजीफोटो फाइल : 12 चांद1 : मां उग्रतारा का प्राचीन मंदिर.मां अष्टादश भुजी का 16 दिवसीय विशेष अनुष्ठान 6 अक्तूबर से जारीप्रतिनिध, चंदवा : मां उग्रतारा मंदिर नगर (चंदवा) में मंगलवार छह अक्तूबर से मां अष्टादश भुजी की अराधना जारी है. जीवित पुत्रिका ब्रत(जीउतिया) के पारन के दिन मंगलवार 6 अक्तूबर से मां अष्टादश भुजी का 16 दिवसीय अनुष्ठान चल रहा है. सेवायत सह पुजारी प्राचीन परंपरा के मुताबिक मां की अाराधना में लगे हैं. इस पूजा का विधान भी परंपरागत है. विभिन्न जिले के लोग नवरात्र के अवसर पर सपरिवार पूजा करने आते हैं. मंगलवार 13 अक्तबर को नवरात्र की कलश स्थापना की गयी. सेवायत पंडित गोविंद वल्लभ मिश्र ने बताया कि आचार्य पंडित उपेंद्र पांडेय (औरंगाबाद, बिहार) का आगमन हो चुका है. यजमान चकला निवासी ठाकुर युगल किशोर नाथ शाही बने हैं. आचार्य श्री पांडेय पूरे अनुष्ठान के दौरान मान्य परंपरा के मुताबिक प्रात: पूजन के बाद खीरा व मिसरी का शर्बत तथा शाम में तिखुर का हलवा का सेवन करेंगे. इस दौरान मंदिर को विशेष तौर पर सजाया-संवारा गया है. मां उग्रतारा सेवा समिति चंदवा के कार सेवकों ने पुलिस प्रशासन से पूजा के दौरान भीड़ को नियंत्रित करने के लिये पुलिस बल की मांग की है. नवरात्र में यहां श्रद्धालुओं की भीड़ देखते ही बनती है. मंदिर परिसर में प्रसाद, मिठायी समेत बड़ी संख्या में दुकानें भी सज गयी हैं. कैसे पहुंचे: यहां पहुंचने के लिये इंदिरा गांधी चौक चंदवा से 9 किमी तथा टोरी रेलवे स्टेशन से 8 किमी की दूरी तय कर रांची-चतरा एनएच 99 स्थित नगर मोड़ होते पहुंचा जा सकता है. मंदिर तक वाहन जाते हैं. शक्ति पीठ व तंत्र साधना यह प्रख्यात शक्ति पीठ के साथ नवरात्र में तंत्र साधना का केंद्र भी है. मातेश्वरी के चरणों में पुष्प अर्पित कर मनोकामना पूर्ण करने के लिए विशेष पूजा का प्रावधान है. प्राचीन परंपरा के मुताबिक यहां पूजा की जाती है. मंदिर के पीछे मदागीर पहाड़ पर मदार साहब की मजार है. वर्णित है कि मदार साहब मातेश्वरी के भक्त थे. आज भी वहां सफेद झंडा लहराता रहता है. सेवायत द्वारा प्रत्येक वर्ष नया झंडा लगाया जाता है. नवरात्र में विशेष पूजा सोमवार 12 अक्तूबर को संध्या आरती के बाद शारदीय नवरात्र पूजन शुरू हो गया. गौरा आगमन, श्री गणेश, सूर्य, नव पत्रिका, अपराजिता, भट्टारिका, भैरव के नीमित कलश स्थापना की गयी. मंगलवार 13 अक्तूबर से सोमवार 19 अक्तूबर तक सुबह-शाम कलश पूजन के पश्चात श्रद्धालु मां भगवती का दर्शन कर पायेंगे. प्रसाद चढ़ा पायेंगे. सोमवार 19 अक्तूबर को ही अपराह्न दो बजे बिल्लाभी मंत्रण के लिये दामोदर गांव (चंदवा) प्रस्थान किया जायेगा. मंगलवार 20 अक्तूबर की सुबह गौरा विसर्जन के साथ नव पत्रिका लाने हेतु दामोदर गांव में विशेष पूजा होगी. इसी दिन अपराह्न नव पत्रिका स्नान व आरती के बाद सप्तमी पूजन किया जायेगा. रात्रि में 10 बजे से श्रद्धालु बलि देंगे. बुधवार 21 अक्तूबर (अष्टमी) को संधि बली (काड़ा) होगी. इसी दिन अपराह्न पांच बजे मंदिर के पीछे हवन किया जायेगा. रात्रि में काड़ा बली (महामार) किया जायेगा. गुरुवार 22 अक्तूबर (नवमी) को आरती के बाद हवन किया जायेगा. मंदिर में पुन: आरती के बाद मां उग्रतारा के चरणों में पान चढ़ाया जायेगा. इस दिन श्रद्धालुओं का प्रसाद नहीं चढ़ेगा. विसर्जन के बाद श्रद्धालुओं का प्रसाद चढ़ाया जायेगा.वर्ष में पांच बार होती है विशेष पूजा मां उग्रतारा मंदिर में वर्ष में पांच बार विशेष पूजा का प्रावधान है. माघ माह में बसंत पंचमी (सरस्वती पूजा) के दिन सामान्य पुआ, श्रावण शुक्ल पथ पंचमी (नाग पंचमी) को कटहल मिश्रित पुआ, चैत कृष्ण पक्ष प्रतिपदा (होली) में सामान्य पुआ, चैत शुक्ल पक्ष नवमी (श्री रामनवमी)को सामान्य पुआ तथा भादो कृष्ण पक्ष नवमी (दधि हरिद्रा) को ताड़ फल मिश्रित पुआ का भोग मां को लगाया जाता है और विशेष पूजा की जाती है.
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भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती है मां अष्टादश भुजी
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