झारखंड पहुंचीं 44 ट्रेनें, 56 और रेलगाड़ियों से अपने घर लौटेंगे प्रवासी

अलग-अलग राज्यों में फंसे झारखंड के प्रवासियों को घर लाने के लिए झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार की पहल पर सबसे पहले श्रमिक स्पेशल ट्रेन चली थी. पहली श्रमिक स्पेशल ट्रेन तेलंगाना से रांची पहुंची थी. इसके बाद से अब तक 44 स्पेशल ट्रेन झारखंड पहुंच चुकी है. अभी 56 और ट्रेनें झारखंड के लिए अलग-अलग राज्यों से चलेंगी. 44 ट्रेनों में 60 हजार से अधिक लोग अलग-अलग राज्यों से अपने गृह राज्य पहुंच चुके हैं. देश भर से 6.85 लाख लोगों ने घर लौटने के लिए राज्य सरकार के पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करा रखा है. करीब 45 हजार लोगों ने फोन पर सरकार से मदद मांगी है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 15, 2020 8:23 AM

रांची/नयी दिल्ली : अलग-अलग राज्यों में फंसे झारखंड के प्रवासियों को घर लाने के लिए झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार की पहल पर सबसे पहले श्रमिक स्पेशल ट्रेन चली थी. पहली श्रमिक स्पेशल ट्रेन तेलंगाना से रांची पहुंची थी. इसके बाद से अब तक 44 स्पेशल ट्रेन झारखंड पहुंच चुकी है.

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अभी 56 और ट्रेनें झारखंड के लिए अलग-अलग राज्यों से चलेंगी. 44 ट्रेनों में 60 हजार से अधिक लोग अलग-अलग राज्यों से अपने गृह राज्य पहुंच चुके हैं. देश भर से 6.85 लाख लोगों ने घर लौटने के लिए राज्य सरकार के पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करा रखा है. करीब 45 हजार लोगों ने फोन पर सरकार से मदद मांगी है.

उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि केंद्र ने राज्य सरकारों के साथ मिलकर प्रवासी मजदूरों को घर जाने के लिए ट्रेनें उपलब्ध करायी हैं. उन्होंने कहा कि रेलवे ने अब तक 806 विशेष श्रमिक रेलगाड़ियों के जरिये 10 लाख श्रमिकों को उनके घर पहुंचाया है. कोविड-19 की वजह से लागू लॉकडाउन के चलते ये प्रवासी श्रमिक विभिन्न राज्यों में फंसे थे.

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सीतारमण ने कहा, ‘यह सरकार प्रवासियों को लेकर चिंतित है. यह देखकर हमें काफी दुख होता है कि प्रवासी मजदूर अपने परिवार, बच्चों और सामान के साथ सड़कों पर पैदल चल रहे हैं. मैं आपको सिर्फ यह कहना चाहती हूं कि हमारी सरकार ने निश्चित रूप से राज्यों के साथ मिलकर इन लोगों को ट्रेन सुविधा उपलब्ध करायी है.’

वित्त मंत्री ने कहा कि 1,200 विशेष श्रमिक ट्रेनें उपलब्ध हैं. प्रतिदिन ऐसी 300 रेलगाड़ियां चलायी जा सकती हैं. उन्होंने दावा कि राज्य सरकारों ने जैसे ही कहा कि उन्हें इतनी संख्या में ट्रेनें चाहिए, तीन से पांच घंटे में यात्रियों को उनके राज्य वापस ले जाने के लिए स्टेशन पर ट्रेन उपलब्ध करा दी गयीं.

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सीतारमण ने कहा कि ट्रेन के परिचालन की लागत का 85 प्रतिशत बोझ केंद्र सरकार उठायेगी. शेष 15 प्रतिशत बोझ राज्य सरकारें वहन करेंगी. मंत्री ने कहा कि अभी तक उत्तर प्रदेश ने ऐसी 386 ट्रेनों का आग्रह किया है. बिहार ने 204, मध्य प्रदेश ने 67, झारखंड ने 44, राजस्थान ने 18 और छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल ने सात-सात ट्रेनों का आग्रह किया है.

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