खाद्य सुरक्षा को लेकर सरकार से जवाब-तलब

रांची: हाइकोर्ट ने बुधवार को राज्य में बिना आधारभूत सुविधा उपलब्ध कराये खाद्य सुरक्षा को लागू करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जवाब-तलब किया. चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस पीपी भट्ट की खंडपीठ ने सरकार से पूछा कि सभी जिलों में आधारभूत सुविधा क्यों नहीं उपलब्ध करायी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 15, 2015 2:09 AM

रांची: हाइकोर्ट ने बुधवार को राज्य में बिना आधारभूत सुविधा उपलब्ध कराये खाद्य सुरक्षा को लागू करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जवाब-तलब किया. चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस पीपी भट्ट की खंडपीठ ने सरकार से पूछा कि सभी जिलों में आधारभूत सुविधा क्यों नहीं उपलब्ध करायी गयी. खाद्य सुरक्षा को लागू करने के लिए क्या-क्या तैयारियां की गयी हैं.

बायोमिट्रिक सिस्टम से अनाज के वितरण में आनेवाली कठिनाइयों को क्यों नहीं दूर किया गया. अनाज को रखने के लिए गोदाम नहीं बनाये गये हैं, तो उसे कहां रखेंगे. खंडपीठ ने शपथ पत्र के माध्यम से विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी शमसाद आलम ने जनहित याचिका दायर कर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून 2013 को राज्य में सही तरीके से लागू करने की मांग की है. राज्य सरकार पर बिना तैयारी व आधारभूत सुविधा उपलब्ध कराये खाद्य सुरक्षा को लागू करने का आरोप लगाया है.

प्रार्थी का कहना है कि खाद्य सुरक्षा कानून का लाभ सभी गरीब व जरूरतमंदों को मिलना चाहिए, लेकिन राज्य में जिस तरीके से आनन-फानन में खाद्य सुरक्षा को लागू किया गया है, उसमें कई गड़बड़ियां हैं. त्रुटियों की तो भरमार है. लाभुकों के चयन का तरीका सही नहीं था. टेबल पर बैठ कर सर्वे किया गया. जो डाटा बेस तैयार किया गया है, वह वास्तविकता से दूर है. हजारों गरीब, नि:शक्त और भिखमंगों को इस योजना से नहीं जोड़ा गया है. उनका सर्वे भी नहीं किया गया. प्रार्थी ने कहा कि केंद्र से प्रतिमाह 16.50 लाख टन फूड ग्रेन झारखंड को मिलेगा, इसे रखने के लिए उचित ढंग का गोदाम भी नहीं है.

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