रांची. अंडमान से झारखंडी मूल के 57 लोगों का समूह रांची आया है. समूह में ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं. ये सभी जीइएल चर्च के सदस्य हैं. 30 और 31 मई को टकरमा सिमडेगा में होनेवाले महिला समिति के वार्षिक सम्मेलन में शामिल लेंगे. झारखंड और खासकर रांची आना इन सभी के लिए अपनी जड़ों की तलाश जैसा है. यहां से उनका भावनात्मक लगाव है, क्योंकि रांची और झारखंड के विभिन्न क्षेत्रों से वर्षों पहले उनके पूर्वज अंडमान चले गये थे. बुधवार को सभी बेथेसदा गर्ल्स स्कूल में चल रही अवकाशकालीन बाइबल पाठशाला में शामिल हुए. बच्चों की खुशी तो देखते ही बन रही थी. अंडमान में झारखंडी मूल के लोगों को गये 100 वर्ष हो गये हैं. तीसरी पीढ़ी वहां निवास कर रही है. जीइएल चर्च महिला समिति की सचिव शशि कुजूर ने कहा : मेरा जन्म अंडमान में ही हुआ है. झारखंड पहले भी आ चुकी हूं, लेकिन रांची कभी नहीं आयी थी. यहां आने की काफी इच्छा थी क्योंकि यहां से ही जीइएल चर्च की शुरुआत हुई थी. यहां पर कई ऐसे स्थल हैं, जो ऐतिहासिक रूप से काफी महत्वपूर्ण हैं. स्मरण पत्थर, ऐतिहासिक क्राइस्ट चर्च आदि. अंडमान में झारखंडी मूल के करीब 600-700 परिवार हैं. शशि ने कहा कि उनका ससुराल जशपुर छत्तीसगढ़ में है और वहां कई बार आना-जाना हो चुका है. अंडमान से आयी छोटी बच्ची आरुषि पूर्ति ने कहा कि वीबीएस में शामिल बच्चों को देखकर काफी अच्छा लग रहा है. उसने कहा कि अंडमान में भी वीबीएस में शामिल होती हूं. ललिता और उनकी बेटी अंकिता ने कहा कि पहली बार रांची आना हुआ है. यहां आने की काफी इच्छा थी. जीइएच चर्च रांची के रेव्ह निरल बागे ने बताया कि अंडमान में झारखंडी मूल के लोगों को रांची कम्युनिटी के नाम से जाना जाता है. ये सभी दो जून को क्राइस्ट चर्च रांची में आयोजित आराधना में शामिल होंगे.
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