छह महीने से खाली है बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष का पद

छह महीने से खाली है बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष का पदनहीं हो पा रही है बाल अधिकार के हनन के मामलों की सुनवाईवरीय संवाददाता, रांचीझारखंड राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष का पद पिछले छह महीने से खाली है. तत्कालीन अध्यक्ष रूप लक्ष्मी मुंडा का कार्यकाल समाप्त होने के बाद आयोग के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 24, 2015 9:12 PM

छह महीने से खाली है बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष का पदनहीं हो पा रही है बाल अधिकार के हनन के मामलों की सुनवाईवरीय संवाददाता, रांचीझारखंड राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष का पद पिछले छह महीने से खाली है. तत्कालीन अध्यक्ष रूप लक्ष्मी मुंडा का कार्यकाल समाप्त होने के बाद आयोग के तीन सदस्यों का पद भी खाली हो चुका है. सिर्फ दो सदस्यों से किसी तरह आयोग का सामान्य कामकाज निबटाया जा रहा है. मई 2015 के पहले सप्ताह में श्रीमती मुंडा का कार्यकाल समाप्त हुआ था. सर्वोच्च न्यायालय ने तीन महीने के अंदर आयोग के अध्यक्ष का पद नहीं भरे जाने पर कार्यकारी व्यवस्था के तहत पुराने अध्यक्ष को ही प्रभार दिये जाने का स्पष्ट आदेश दिया है. इसका अनुपालन राज्य सरकार की तरफ से नहीं किया गया है. सरकार की ओर से अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति को लेकर आवेदन जरूर मंगाये गये, पर पंचायत चुना‌व की घोषणा होने की वजह से योग्य अभ्यर्थियों का चयन नहीं किया जा रहा है. 150 से अधिक शिकायतें सुनवाई के लिए लंबितजानकारी के अनुसार, 150 से अधिक शिकायतें आयोग के अध्यक्ष के नहीं रहने से लंबित हैं. आयोग का पूर्ण रूप से गठन नहीं होने से यह दिक्कतें हो रही हैं, क्योंकि जिला जज के अनुरूप सुनवाई करने की शक्तियां आयोग को प्राप्त हैं. आयोग के पास यह भी अधिकार है कि वह बाल अधिकार से संबंधित मामलों का संज्ञान लेकर दोषी अधिकारियों का फिजिकल प्रेजेंश करा सके. आयोग को शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन, बाल श्रम से संबंधित मामले, 18 वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चों की ट्रैफिकिंग, जूवेनाइल जस्टिस से संबंधित मामलों की सुनवाई, बाल विवाह और अन्य तरह की प्रताड़ना से संबंधित मामलों की सुनवाई का अधिकार दिया गया है. तीन वर्ष से नहीं मिला है मानदेय आयोग के सदस्यों और अन्य को पिछले तीन वर्ष से मानदेय भी नहीं मिला है. आयोग के सदस्यों को 10 हजार रुपये का मासिक मानदेय दिया जाता है. 2012 से यह मानदेय कार्यकाल पूरा कर चुके सदस्यों और वर्तमान दो सदस्यों को नहीं मिल पाया है.

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