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13 करोड़ रुपये के मेडिकल उपकरण बेकार
एचएलएल कर रहा है सर्वे, 13 जिलों का काम पूरा रांची : राज्य के सरकारी अस्पतालों में करीब 13 करोड़ रुपये से अधिक के मेडिकल उपकरण बेकार पड़े हैं. इनमें आठ करोड़ रुपये की 103 अल्ट्रासाउंड मशीनें भी शामिल हैं, जो मोबाइल मेडिकल यूनिट (एमएमयू) में लगायी गयी थी. इन सभी उपकरणों का उपयोग करने […]
एचएलएल कर रहा है सर्वे, 13 जिलों का काम पूरा
रांची : राज्य के सरकारी अस्पतालों में करीब 13 करोड़ रुपये से अधिक के मेडिकल उपकरण बेकार पड़े हैं. इनमें आठ करोड़ रुपये की 103 अल्ट्रासाउंड मशीनें भी शामिल हैं, जो मोबाइल मेडिकल यूनिट (एमएमयू) में लगायी गयी थी. इन सभी उपकरणों का उपयोग करने के लिए स्वास्थ्य विभाग अब सभी मेडिकल उपकरणों की मैपिंग करवा रहा है. हिंदुस्तान लेटेक्स लिमिटेड (एचएलएल) को यह काम दिया गया है. एचएलएल सभी सरकारी अस्पतालों तथा स्वास्थ्य केंद्रों में मौजूद उपकरणों की मैपिंग व कोडिंग कर इसकी सूची बना रहा है.
इससे मुख्यालय के पास राज्य भर के उपकरणों की सूची उपलब्ध होगी और बेकार पड़े उपकरणों का प्रयोग शुरू किया जायेगा. कम उपयोगवाले उपकरणों को व्यस्त अस्पतालों-स्वास्थ्य केंद्रो में लगाने की योजना है.
विभागीय सूत्रों के अनुसार, 13 जिलों में मैपिंग का काम पूरा हो गया है. शेष 11 जिलों में सर्वे चल रहा है. विभागीय सचिव की अध्यक्षता में इसकी समीक्षा भी हो चुकी है.
गौरतलब है कि कई जिलों में मेडिकल उपकरणों की अंधाधुंध खरीद हुई थी. पूर्व (वर्तमान भी) विभागीय सचिव रहे के विद्यासागर ने तब जिलों से मिली उपकरण संबंधी रिपोर्ट के बाद खुद संबंधित जिलों के सिविल सर्जनों को चिट्ठी लिख कर अनावश्यक खरीद पर कड़ी आपत्ति की थी. सचिव ने लिखा था कि उपकरणों की खरीद बगैर जरूरत की गयी है. इन उपकरणों के लिए जरूरी या उपलब्ध तकनीशियन हैं या नहीं, इसका भी ख्याल नहीं रखा गया.
खरीद के लिए जारी आवंटन व निर्गत आदेश का उल्लंघन हुआ है. कुछ मामले में लगता है कि यह खरीद जनहित को ध्यान में रख कर नहीं, बल्कि उपकरण आपूर्तिकर्ता के हित को ध्यान में रख कर की गयी है. सचिव ने लिखा था कि इस पूरी स्थिति के लिए उपकरण खरीदनेवाले सिविल सर्जन व एमओआइसी जिम्मेवार माने जायेंगे. हालांकि इस मामले में किसी सिविल सर्जन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
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