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आदिवासियों में दक्षता नर्मिाण की जरूरत : जेवियर कुजूर

आदिवासियों में दक्षता निर्माण की जरूरत : जेवियर कुजूरफोटो अमित दास- जेसुईट मिशन का तीन दिवसीय पांचवा राष्ट्रीय आदिवासी उत्सव का दूसरा दिन, जुटे हैं कई राज्यों के आदिवासी- देश के आदिवासियों के आजीविका संवर्द्धन पर हुआ कार्यक्रमसंवाददाता, रांचीझारखंड जंगल बचाओ आंदोलन के संयोजक जेवियर कुजूर ने कहा कि आदिवासियों की आजीविका सुनिश्चत करने के […]

आदिवासियों में दक्षता निर्माण की जरूरत : जेवियर कुजूरफोटो अमित दास- जेसुईट मिशन का तीन दिवसीय पांचवा राष्ट्रीय आदिवासी उत्सव का दूसरा दिन, जुटे हैं कई राज्यों के आदिवासी- देश के आदिवासियों के आजीविका संवर्द्धन पर हुआ कार्यक्रमसंवाददाता, रांचीझारखंड जंगल बचाओ आंदोलन के संयोजक जेवियर कुजूर ने कहा कि आदिवासियों की आजीविका सुनिश्चत करने के लिए सरकार को जंगल और कृषि आधारित विकास की नीति बनानी होगी़ आदिवासियों में दक्षता निर्माण व उनकी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने की भी जरूरत है़ उन पर आजीविका का संकट मंडरा रहा है़ वह जेमाई पांचवें राष्ट्रीय आदिवासी उत्सव के दूसरे दिन सेमिनार को संबोधित कर रहे थे़ इस कार्यक्रम का आयोजन जेसुईट मिशन अमंग इंडिजिनस पीपुल (जेमाई) द्वारा ‘प्रोमोटिंग लाईवलीहुड एमंग द ट्राइबल्स आॅफ इंडिया’ विषय पर संत जॉन स्कूल परिसर में 26 अक्तूबर तक किया गया है़ आजीविका के अन्य विकल्प भी तलाशने होंगेजेवियर कुजूर ने कहा कि आदिवासियों को उद्योग धंधों के क्षेत्र में आगे आने की जरूरत है़ आज ज्यादातर नौकरियां कांट्रैक्ट या आउटसोर्सिंग के हवाले है़ं सरकारी क्षेत्र में आरक्षण के बावजूद उनके लिए नौकरियां कम हाेती जा रही है़ं नौकरियों में भागीदारी के लिए खुली प्रतियोगिता में अपनी योग्यता दिखानी होगी़ आदिवासी क्षेत्रों में संसाधनों के प्रबंधन व रोजगार सृजन के लिए नेतृत्व पैदा करने की भी आवश्यकता है़ रविवार को भावी कार्ययोजना तय की गयी़ मौके पर मैट कॉब, क्लेमेंट लकड़ा, कृपा खेस, मनीषा केरकेट्टा व देश के विभिन्न हिस्सों से आये प्रतिभागियों ने भी विचार रखे़ समूह चर्चा में आजीविका, आदिवासियत पर हुआ मंथनदलीय चर्चा में लोगों ने इस बात पर विचार किया कि क्या उनके गांव के जंगल में आजीविका के साधन उपलब्ध हैं? यदि हां, तो इस पर नियंत्रण व इसे समृद्ध करने का क्या उपाय है? जैविक खेती व रासायनिक खेती में कौन बेहतर है? क्या शहरों में अच्छी आजीविका के विकल्प हैं? यदि हां, तो इज्जतदार आजीविका के साथ अपनी सांस्कृतिक मर्यादा कैसे बरकरार रखेंगे? क्या बदलते परिवेश में अपनी आजीविका को बढ़ावा देते हुए सांस्कृतिक मूल्यों को बरकरार रखा जा सकता है? यदि अपने पूर्वजों के गांव से अन्यत्र जाने के लिए मजबूर किये जाते हैं, तो सांस्कृतिक रूप से किस तरह आदिवासी बने रह सकते हैं?सोसाइटी ऑफ जीसस की महत्वकांक्षी परियोजनाफादर एलेक्स ने बताया कि जेमाई का गठन 1984 में किया गया था़ देश के आदिवासी बहुल इलाकों में सोसाइटी ऑफ जीसस के प्रोविंस में इसका एक समन्वयक रखा जाता है़ जेमाई आदिवासी सशक्तीकरण, उनके विकास, उनके अधिकार, उनकी एकजुटता के मुद्दों पर कार्य करता है़ यह सोसाइटी ऑफ जीसस के महत्वकांक्षी कार्यों में से एक है़ आज पतरातू का कोयला खनन क्षेत्र जायेंगेसोमवार को प्रतिभागी पतरातू के उरीमारी ओपन कास्ट कोल माइंस, बिरसा कृषि विश्वविद्यालय व सीएमपीडीआइ का अर्थ साइंस म्यूजियम देखने जायेंगे़

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