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झारखंड: 3 साल में 5,736 सड़क हादसे, 4,291 लोगों की मौत, सांसद संजय सेठ के सवाल पर केंद्रीय मंत्री ने दिया जवाब

झारखंड में इन 3 वर्षों में 5,736 सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं और इन सड़क दुर्घटनाओं में 4,291 लोगों की मौत हुई है. सबसे अधिक मौतें वर्ष 2019 में हुई हैं, जो 1,554 है. इस आशय की जानकारी केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने लोकसभा में दी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 20, 2023 5:30 PM

रांची. वर्ष 2019 से 2021 तक देश में राष्ट्रीय राजमार्ग व एक्सप्रेस-वे में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है. देश में इन 3 वर्षों में कुल 3,82,512 सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं. इनमें सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाएं वर्ष 2019 में हुई हैं, जो 1,37,000 से अधिक है. झारखंड में इन 3 वर्षों में 5,736 सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं और इन सड़क दुर्घटनाओं में 4,291 लोगों की मौत हुई है. सबसे अधिक मौतें वर्ष 2019 में हुई हैं, जो 1,554 है. इस आशय की जानकारी केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने लोकसभा में दी. लोकसभा में रांची से बीजेपी सांसद संजय सेठ ने सवाल पूछा था कि राष्ट्रीय राजमार्ग पर सड़क दुर्घटनाओं का आंकड़ा क्या है और इससे कितने लोगों की जान गई है. सांसद ने दुर्घटनाओं के पीड़ितों को मुआवजा देने से संबंधित जानकारी भी मांगी थी. इसके अलावा टोल टैक्स से संबंधित जानकारी भी सांसद ने सदन के माध्यम से केंद्रीय मंत्री से मांगी थी.

बढ़ायी गयी है मुआवजा राशि

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि मोटर वाहन अधिनियम की धारा 161 के तहत हिट एंड रन मोटर दुर्घटना के मामले में मुआवजे का विशेष प्रावधान है. इसके तहत 25 फरवरी 2022 की अधिसूचना के माध्यम से हिट एंड रन मोटर दुर्घटनाओं के पीड़ितों के मुआवजा को बढ़ाया गया है. गंभीर चोट लगने की स्थिति में 12500 रुपये से लेकर 50,000 रुपये और मृत्यु की स्थिति में 25000 रुपये से लेकर 2,00,000 रुपये तक मुआवजे की राशि बढ़ायी गयी है. केंद्रीय मंत्री ने बताया कि मोटर दुर्घटना से संबंधित मामलों के लिए राज्य स्तर पर न्यायाधिकरण में दर्ज किए जाने का प्रावधान है.

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टोल टैक्स पर दी ये जानकारी

केंद्रीय मंत्री ने सदन में सांसद संजय सेठ को बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क यानी टोल टैक्स उपयोगकर्ता के लिए हमेशा के लिए एकत्र किया जाना है. सार्वजनिक निजी भागीदारी परियोजनाओं के मामले में रियायत अवधि के पूर्ण होने के बाद केंद्र सरकार द्वारा 40% की कम दरों पर उपयोगकर्ता शुल्क एकत्र किया जाना है. सार्वजनिक वित्त पोषित परियोजनाओं के मामले में परियोजना की पूंजीगत लागत की वसूली के बाद उपयोगकर्ता शुल्क दरों को घटाकर 40% किया जाना सुनिश्चित किया गया है.

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