रांची : राज्य सरकार सात साल में आर्यन एवियशन को हेलीकॉप्टर के किराये के रूप में जितने रुपये का भुगतान करेगी, उतने में एक नया हेलीकॉप्टर खरीदा जा सकता है. राज्य सरकार वर्ष 2002-03 से ही वीवीआइपी मूवमेंट के लिए हेलीकॉप्टर खरीदने की कोशिश कर रही है.
लेकिन हर बार अपरिहार्य कारणों से हेलीकॉप्टर खरीदने के बदले किराये पर ही लेने का फैसला करती है. इस बार भी सरकार ने 76 लाख रुपये प्रतिमाह के किराये पर आर्यन एवियशन से डॉयफिन हेलीकॉप्टर एक साल के लिए किराये पर लिया है. इस हिसाब से सरकार साल भर में कंपनी को किराये के रूप में कम से कम 9.12 करोड़ रुपये का भुगतान करेगी. उड़ान की अवधि 25 घंटा प्रति माह के अधिक होने पर 76 हजार रुपये प्रति घंटे की दर से भुगतान करेगी.
पुलिस के पास है दो हेलीकॉप्टर
झारखंड पुलिस के पास दो हेलीकॉप्टर है. ये दोनों हेलीकॉप्टर सिर्फ नक्सल अॉपरेशन में इस्तेमाल किये जाते हैं. यही वजह है कि इसे वीआइपी मूवमेंट इस्तेमाल नहीं किया जाता.
आठ माह में किराये के तौर पर दिये गये 14 करोड़
जनवरी 2015 से अगस्त तक सरकार हेलीकॉप्टर के किराये के एवज में इस कंपनी को 14 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुकी है. यानी प्रत्येक माह औसतन 1.75 करोड़ रुपये का भुगतान सरकार करती थी. इसके बाद नागर विमानन विभाग ने निविदा जारी कर रेट मंगाया. फिर आर्यन एवियेशन का चयन किया गया. अब अंतर इतना है कि कंपनी को महीने में 25 घंटे की उड़ान की लिए 76 लाख रुपये दिये जायेंगे. इससे अधिक उड़ान पर प्रति घंटा 76 हजार रुपये की दर से भुगतान करना होगा. विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि मेंटनेंस व पायलट की जिम्मेवारी उसी कंपनी की होगी. साथ ही मेंटेनेंस की अवधि में कंपनी दूसरा हेलीकॉप्टप उपलब्ध करायेगी. सरकार यदि अपना हेलीकॉप्टर लेती तो दो पायलट भी रखने पड़ते, जिसके वेतन में कम से कम पांच से छह लाख रुपये खर्च होते. यही वजह है कि सरकार ने किराये पर हेलीकॉप्टर लेने का फैसला किया.