रांची: विकास आयुक्त आरएस पोद्दार ने कहा है कि जलवायु परिवर्तन सबके लिए चिंता की बात है. विकसित और विकासशील दोनों तरह के देश इसके असर से बचने के उपाय पर बात कर रहे हैं. यह सही है कि 95 फीसदी कार्बन विकसित देश छोड़ते हैं, लेकिन दबाव विकासशील देशों पर ज्यादा है. श्री पोद्दार बुधवार को होटल ली लैक में नाबार्ड द्वारा जलवायु परिवर्तन पर आयोजित कार्यशाला में बोल रहे थे.
श्री पोद्दार ने कहा कि भारत सरकार भी जलवायु परिवर्तन पर अपनी चिंता जता चुकी है. इससे निपटने के लिए एक्शन प्लान भी तैयार किये गये हैं. पिछले 100 साल से जितना परिवर्तन हो रहा है, उसका असर आम जनजीवन पर दिख रहा है.
नाबार्ड मुख्यालय के डीजीएम संजय डोरा ने बताया कि नाबार्ड ने जलवायु परिवर्तन से संबंधित योजनाओं के लिए फंड की व्यवस्था करने का निर्णय लिया है. इसके लिए पैसे की कमी नहीं होगी. नाबार्ड रांची के सीजीएम एस मंडल ने विषय प्रवेश कराया. अतिथियों का स्वागत डीजीएम एके सारंगी ने किया. इस मौके पर वन, कृषि, ग्रामीण विकास विभाग, पेजयल स्वच्छता, खान विभाग के वरीय अधिकारी मौजूद थे.
विकास और जलवायु के बीच तालमेल जरूरी
प्रधान मुख्य वन संरक्षक बीसी निगम ने कहा कि विकास और जलवायु के बीच तालमेल जरूरी है. एक ओर हम विकास की बात कह रहे हैं, दूसरी ओर 30 से 35 फीसदी कार्बन घटाने की बात हो रही है. दोनों के बीच तालमेल मुश्किल है, लेकिन रास्ता निकालना होगा. विकसित देशों को इस पर विचार करना चाहिए.