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जल संकट: राज्य के डैमों की हालत खराब, तेजी से नीचे जा रहा है जल स्तर, पानी के लिए तरस रहे डैम

रांची: ठंड की आहट से पहले ही राजधानी रांची के हटिया डैम से शुरू की गयी पानी की राशनिंग बानगी भर है. पूरे राज्य के डैम बदहाल हैं. डैमों में इस वर्ष पिछले साल की तुलना में भी पानी कम है. कमोबेश सभी डैमों में गरमी तक लोगों को पिलाने के लिए पानी नहीं है. […]

रांची: ठंड की आहट से पहले ही राजधानी रांची के हटिया डैम से शुरू की गयी पानी की राशनिंग बानगी भर है. पूरे राज्य के डैम बदहाल हैं. डैमों में इस वर्ष पिछले साल की तुलना में भी पानी कम है. कमोबेश सभी डैमों में गरमी तक लोगों को पिलाने के लिए पानी नहीं है. फरवरी और मार्च में पेयजल एवं स्वच्छता विभाग अभी भी बारिश की उम्मीद कर रहा है. विभाग के अफसर कहते हैं बारिश नहीं हुई, तो इस बार गरमियों में हालत बदतर होगी. राज्य के ज्यादातर डैम अप्रैल महीने के अंत तक पानी की आपूर्ति करने की हालत में नहीं रहेंगे.

धनबाद और संताल में भी शुरू हो सकती है राशनिंग
वर्तमान परिस्थिति में रांची के बाद धनबाद और संताल परगना में भी पानी की राशनिंग शुरू की जा सकती है. धनबाद के मैथन व पंचित डैम के अलावा दुमका के मयूराक्षी डैम में भी पानी के स्तर में रिकार्ड कमी अायी है. धनबाद में पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के कार्यपालक अभियंता मयंक भगत बताते हैं : मैथन डैम की हालत बुरी है. डैम में अभी उतना पानी बचा है, जितना इस साल मई महीने में था. पानी तेजी से नीचे जा रहा है. यही हाल रहा, तो अगले साल जनवरी के अंत तक डैम से पानी की सप्लाई नहीं की जा सकेगी. यही हाल संताल के दुमका का भी है. मयूराक्षी डैम में पदस्थापित एसडीओ मंगल पूर्ति कहते हैं : पानी की बहुत कमी है. बारिश नहीं होने की वजह से सिंचाई में भी पानी का इस्तेमाल किया जा रहा है. मौजूदा परिस्थितियों में फरवरी-मार्च तक भी पानी की सप्लाई मुश्किल लगती है.

दयनीय है शहरों का हाल
भूमिगत जल के स्तर के लगातार नीचे जाने से शहरों का हाल और अधिक बुरा है. शहरों की बढ़ती आबादी जरूरत के लिए बोरवेल करा रही है. अपार्टमेंट कल्चर में डीप बोरिंग के बिना काम नहीं होता. अपवादों को छोड़ दें, तो शहरों में भूमिगत जल को रिचार्ज किये जाने का काम न के बराबर होता है. सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड ने धनबाद और रामगढ़ को क्रिटिकल जोन के रूप में चिह्नित किया है. रांची, बोकारो, चास, जमशेदपुर, झरिया, गोड्डा के शहरी इलाके को सेमी क्रिटिकल जोन में रखा है. भूगर्भ जल के अत्यधिक दोहन से इन शहरी क्षेत्रों में गरमी शुरू होते ही जल स्रोत सूख जाते हैं. जलस्तर और ज्यादा नीचे चला जाता है.

छड़वा डैम में घट रहा जलस्तर
हजारीबाग शहरी क्षेत्र में पेयजल आपूर्ति छड़वा डैम से होती है. छड़वा डैम में अभी 27 फीट छह ईंच पानी है. प्रतिदिन पेयजल सप्लाई के बाद एक माह में लगभग दो फीट पानी कम हो जायेगा. जून 2016 में गरमी के समय पानी 11 फीट रह जायेगा. छड़वा डैम में 15 फीट पानी रहने पर पेयजल सप्लाई बेहतर ढंग से हो पाता है. इसके बाद अलग से मोटर लगाकर ट्रीटमेंट प्लांट तक पानी लाना पड़ता है.

लगातार नीचे जा रहा है भूमिगत जल का स्तर
सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड के सर्वे से पता चला है कि राज्य में हर वर्ष जलस्तर औसतन छह फीट कम होता जा रहा है. रिपोर्ट बताती है कि राज्य में औसतन 1400 मिमी बारिश होती है. इसके बाद भी भूमिगत जल दोहन का 4.46% पानी ही रिचार्ज हो पाता है. बारिश के 80 फीसदी से अधिक पानी का संचयन राज्य में नहीं होता है. नतीजा, एक वर्ष में राज्य के कुओं का औसत जलस्तर 19 मीटर तक नीचे जा रहा है. सेंट्रल वाटर बोर्ड द्वारा वर्ष 2012 और 2013 में की गयी कुओं के जलस्तर की गणना के आंकड़े चौंकानेवाले हैं. रिपोर्ट बताती है कि इन दो वर्षों में राज्य के 39 फीसदी कुओं में पानी का स्तर लगातार कम होता गया.

कोडरमा

तिलैया डैम से रोजाना एक सेमी कम हो रहा पानी
कोडरमा के तिलैया डैम में पानी की क्षमता 364.70 मीटर है, जबकि अभी यहां 345.95 मीटर पानी है. डीवीसी के कर्मी प्रभु दयाल की मानें, तो पानी की सप्लाई किए जाने के बाद रोजाना एक सेंटीमीटर पानी कम होता है. उनके अनुसार एक माह में आठ सेंटीमीटर पानी कम होता है और तीन माह में करीब 23 सेंटीमीटर. इस डैम से शहरी क्षेत्र के हजारों लोगों को पानी की आपूर्ति की जाती है. संभावना है कि यहां भी राशनिंग की जा सकती है. अधिकारियों के अनुसार मई से जून के बीच यहां जल संकट गहरा सकता है.

लोहरदगा
नवंबर से ही होगी पानी की किल्लत
कोयल नदी से लोहरदगा शहर में पानी की आपूर्ति होती है. नदी का जलस्तर वर्षा के अभाव में आधा मीटर नीचे चला गया है. नदी जो हमेशा लबालब भरी रहती थी, उसके अधिकांश हिस्से में बालू नजर आ रहा है. स्थिति यह है कि यहां अब नवंबर के अंतिम सप्ताह से ही पानी की किल्लत हो जायेगी.

चतरा
हेरु डैम में पर्याप्त पानी होती है आपूर्ति
चतरा में हेरु डैम से शहरी इलाकों में पानी की आपूर्ति की जाती है़ हर रोज साढ़े सात लाख गैलन पानी की सप्लाई की जाती है़ नवंबर माह में डैम में 24 फीट पानी है़ डैम की क्षमता से अधिक पानी दिसंबर माह तक रहता है़ यहां फिलहाल संकट की स्थिति नहीं है.

गुमला
खटवा व नागफेनी नदी सूखी
गुमला शहर में खटवा व नागफेनी नदी से जलापूर्ति होती है. अभी अक्तूबर माह में ही दोनों नदी सूख गयी हैं. पानी सप्लाई के लिए बनाया गया इंटक वेल भी सूख रहा है. कुआं में दस फीट पानी नीचे चला गया है. गुमला की 50 हजार आबादी सप्लाई पानी पर निर्भर है.

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