कृषि विवि के पाठ्यक्रम में शामिल हो यहां की तकनीक

नामकुम: भारतीय प्राकृतिक रॉल एवं गोंद संस्थान विश्व का पहला ऐसा संस्थान है, जहां इतने व्यापक तौर पर लाख की उत्पादकता पर शोध किया जाता है. ऐसे संस्थानों में विकसित तकनीक सिर्फ दफ्तरों की मेज पर रहे, यह उचित नहीं है. किसानों को वैज्ञानिक तकनीकों को पूरा लाभ मिले, इसके लिए बुनियादी तौर पर प्रशिक्षण […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2013 1:37 PM

नामकुम: भारतीय प्राकृतिक रॉल एवं गोंद संस्थान विश्व का पहला ऐसा संस्थान है, जहां इतने व्यापक तौर पर लाख की उत्पादकता पर शोध किया जाता है. ऐसे संस्थानों में विकसित तकनीक सिर्फ दफ्तरों की मेज पर रहे, यह उचित नहीं है.

किसानों को वैज्ञानिक तकनीकों को पूरा लाभ मिले, इसके लिए बुनियादी तौर पर प्रशिक्षण के अलावा कृषि विश्वविद्यालय के पाठयक्रम में भी इन तकनीकों को शामिल करने की जरूरत है. ये बातें सोमवार को नामकुम स्थित भारतीय प्राकृतिक रॉल एवं गोंद संस्थान में आयोजित ग्रीष्मकालीन छात्र कार्यशाला के दौरान कर्नाटक से आये भाजपा सांसद अनंत कुमार हेगड़े ने कही.

उन्होंने इस दिशा में कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की एक बैठक संस्थान परिसर में आयोजित करने की बात भी कही़ सांसद ने कृषि एवं वानिकी से जुड़े शोध संस्थानों को देश के उच्च प्रबंधन संस्थानों से मार्केटिंग के क्षेत्र में सहयोग लेने की बात कही, जिससे कृषि की नयी से नयी तकनीक आसानी से बाजारों में उपलब्ध हो सक़े संस्थान के निदेशक डॉ रंगनातन रमणी ने बताया किइस संस्थान में अलग-अलग जलवायु आधारित शोध किये जा रहे हैं, ताकि पूरे भारत में लाख की उत्पादकता को बढ़ावा मिले. कार्यक्रम के दौरान हार्प के प्रधान वैज्ञानिक डॉ शिवेंद्र कुमार भी मौजूद थे.

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