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नुकसान में चलनेवाली कंपनी बन गयी मिनी रत्न

सीसीएल का स्थापना दिवस आज : 15 साल में घटे 29 हजार कर्मी, लाभ 1973 करोड़ रुपये मनोज सिंह रांची : कोल इंडिया के साथ-साथ सीसीएल भी एक नवंबर को स्थापना दिवस मनायेगा. 1975 को कोल इंडिया का राष्ट्रीयकरण हुआ था. इसके तहत भारत सरकार ने देश में निजी हाथों में संचालित कोयला कंपनियों को […]

सीसीएल का स्थापना दिवस आज : 15 साल में घटे 29 हजार कर्मी, लाभ 1973 करोड़ रुपये
मनोज सिंह
रांची : कोल इंडिया के साथ-साथ सीसीएल भी एक नवंबर को स्थापना दिवस मनायेगा. 1975 को कोल इंडिया का राष्ट्रीयकरण हुआ था. इसके तहत भारत सरकार ने देश में निजी हाथों में संचालित कोयला कंपनियों को मिलाकर सार्वजनिक क्षेत्र का एक उपक्रम बना दिया. इसको कोल इंडिया का नाम दिया गया.
इसी समय झारखंड में संचालित तीन कंपनियों (सीसीएल, बीसीसीएल और सीएमपीडीआइ) का राष्ट्रीयकरण किया गया. सीसीएल और बीसीसीएल खनन कंपनियां थीं, जबकि सीएमपीडीअाइ कोयला खनन के क्षेत्र में काम करने वाली अनुसंधान इकाई थी. सीसीएल का मुख्यालय रांची बनाया गया है. इसके अधीन अभी 12 एरिया में खदानों का संचालन हो रहा है.
राज्य गठन के समय सीसीएल घाटे वाली कंपनी थी. 2001 में सीसीएल 792.90 करोड़ रुपये के नुकसान में थी. यही स्थिति 2002 में भी रही. घाटा घटकर 108 करोड़ रुपये हो गये. उसके अगले साल से कंपनी को बड़ा बाजार मिलने लगा. कंपनी लाभ कमाने लगी. 10 साल पहले तक घाटे में चलने वाली कंपनी आज लाभ कमा रही है और इसे मीनी रत्न का दर्जा भी मिला है. कंपनी की बीते साल का लाभ दो हजार करोड़ रुपये के आसपास है.
47 हजार रह गया मैनपावर
सीसीएल के मैनपावर में पिछले 15 साल में करीब 30 हजार की कमी आयी है. 2001 में सीसीएल में करीब 80 हजार कर्मी थे. आज यह 47 हजार के आसपास रह गये हैं. इसका प्रमुख कारण कंपनी के कार्यों का आउटसोर्सिंग होना है. कंपनी में उत्पादन का ज्यादा काम आज ठेके पर हो रहा है.
इस कारण कंपनी में करीब एक लाख से अधिक ठेका मजदूर काम कर रहे हैं. इस कारण कंपनी में गैर अधिकारी की गैर तकनीकी संवर्ग में बहाली नहीं हो रही है. इसके बावजूद कंपनी अपने मैन पावर के बल पर देश की अग्रणी कोयला कंपनियों में बनी हुई है.

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