School Education News : बिना मान्यता के झारखंड में चल रहे 5,879 स्कूल, 31 मार्च के बाद इनपर होगी कार्रवाई
शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के लगभग 15 वर्ष बाद भी देश भर में बिना मान्यता के स्कूलों का संचालन किया जा रहा है. देश में वर्ष 2009 में शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू किया गया था. इसके दो वर्ष बाद झारखंड में वर्ष 2011 में इससे संबंधित अधिसूचना जारी की गयी थी. झारखंड में भी शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू हुए 13 वर्ष हो गये.
सुनील कुमार झा (रांची). शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के लगभग 15 वर्ष बाद भी देश भर में बिना मान्यता के स्कूलों का संचालन किया जा रहा है. देश में वर्ष 2009 में शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू किया गया था. इसके दो वर्ष बाद झारखंड में वर्ष 2011 में इससे संबंधित अधिसूचना जारी की गयी थी. झारखंड में भी शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू हुए 13 वर्ष हो गये. इसके बाद भी देश में सबसे अधिक बिना मान्यता के विद्यालय झारखंड में संचालित हो रहे हैं. जबकि अधिनियम लागू होने के तीन वर्ष के अंदर स्कूलों को मान्यता ले लेनी थी. अब तक नियमों की अनदेखी कर स्कूलों का संचालन किया जा रहा है.
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने जारी की है रिपोर्ट
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, देश भर में कुल 22,298 स्कूल बिना मान्यता के चल रहे हैं. इन स्कूलों में कुल 24,34,238 बच्चे नामांकित है. स्कूलों में 1,58,990 शिक्षक कार्यरत हैं. केंद्रीय स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग के सचिव संजय कुमार ने सभी राज्यों के शिक्षा सचिव को पत्र लिखा है. राज्यों को भेजे गये पत्र में राज्य संचालित विद्यालय व उनमें नामांकित विद्यार्थी व कार्यरत शिक्षकों के बारे में जानकारी दी गयी है. रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड में बिना मान्यता के सबसे अधिक 5879 विद्यालय संचालित है. इन स्कूलों में 837879 बच्चे नामांकित है, जबकि 46421 शिक्षक कार्यरत हैं. केंद्र के पत्र के बाद राज्य सरकार ने इन स्कूलों को मान्यता के लिए एक अंतिम अवसर देने का निर्णय लिया है. इसके बाद अगर विद्यालय मान्यता नहीं लेते है, तो प्रावधान के अनुरूप इन स्कूलों को बंद कर दिया जायेगा. इन स्कूलों को 31 मार्च 2025 तक मान्यता लेनी होगी. मान्यता नहीं लेने वाले विद्यालय 31 मार्च 2025 के बाद संचालित नहीं हो पायेंगे.
कहीं बेसमेंट, तो कहीं घर में चल रहे स्कूल
बिना मान्यता के चल रहे स्कूल सरकार द्वारा निर्धारित मापदंड को पूरा नहीं करते हैं. स्कूल संचालन को लेकर सरकार द्वारा मापदंड का निर्धारण किया गया है. जिसमें स्कूल के निर्धारित मापदंड के अनुरूप जमीन, भवन, प्रयोगशाला, पुरस्कालय, खेल समेत अन्य संसाधन की आवश्यकता होती है. शिक्षकों के लिए आवश्यक योग्यता का निर्धारण किया गया है. बिना मान्यता के संचालित अधिकतर विद्यालय संचालन को लेकर निर्धारित मापदंड को पूरा नहीं करते हैं. ऐसे विद्यालय कहीं बेसमेंट, तो कही घर में संचालित हो रहे हैं. इन विद्यालयों से विद्यार्थी बोर्ड परीक्षा में भी शामिल नहीं हो पाते हैं.
कक्षा आठ तक के 3700 विद्यालय संचालित
राज्य में बिना मान्यता के चल रहे 5879 स्कूलों में से सबसे अधिक लगभग 3700 विद्यालय कक्षा एक से आठ तक के हैं. स्कूल प्रबंधन बिना मान्यता के ही बच्चों का नामांकन ले रहा है. जबकि शिक्षा का अधिकार अधिनियम के प्रावधान के तहत स्कूलों को पहले मान्यता लेनी है, फिर नामांकन लेना है.
रांची में सबसे अधिक चतरा में सबसे कम
राज्य में बिना मान्यता के सबसे अधिक 700 स्कूल रांची में संचालित हैं. चतरा में सबसे कम विद्यालय संचालित है. शिक्षा विभाग द्वारा समय-समय पर स्कूलों के मान्यता को लेकर दिशा-निर्देश भी जारी किया जाता है. इसके बाद भी पांच हजार से अधिक स्कूल प्रबंधन ने मान्यता नहीं ली है.
राज्यों को भेजा गया है पत्र
राज्यों में बिना मान्यता प्राप्त स्कूलों का संचालन किया जा रहा है. शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के तीन वर्ष तक स्कूलों को मान्यता ले लेनी थी. इस संबंध में राज्यों को ऐसे विद्यालयों की संख्या के साथ पत्र भेजा गया है. स्कूलों के संबंध में 31 मार्च 2025 तक प्रावधान के अनुरूप कार्रवाई करने को कहा गया है.
संजय कुमार, सचिव, स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग, भारत सरकारपत्र के अनुरूप की जा रही है कार्रवाई
केंद्र सरकार द्वारा इस संबंध में भेजे गये पत्र के अनुरूप विद्यालयों की मान्यता को लेकर कार्रवाई की जा रही है. विभागीय स्तर पर इसकी समीक्षा की गयी है. जिला स्तर पर फिलहाल राज्य के 400 विद्यालयों के मान्यता को लेकर आवेदन लंबित है. सभी जिलों को इन विद्यालयों के संबंध में जल्द निर्णय लेने को कहा गया है. इसके अलावा अन्य स्कूलों को भी अवसर दिया जायेगा. इसके लिए स्कूलों को समय भी दिया जायेगा. इन स्कूलों को 31 मार्च 2025 तक मान्यता लेनी होगी. मान्यता नहीं लेने वाले विद्यालय 31 मार्च 2025 के बाद संचालित नहीं हो पायेंगे.उमाशंकर सिंह, सचिव स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग झारखंड सरकार
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