सहष्णिुता बनाम असहष्णिुता पर किया गया विमर्श

सहिष्णुता बनाम असहिष्णुता पर किया गया विमर्शमानवतावादी राष्ट्रीय लेखक संघ की बैठकरांची. कांति कृष्ण कला भवन में रविवार को मानवतावादी राष्ट्रीय लेखक संघ के तत्वावधान में कलाकारों, साहित्यकारों की बैठक हुई. बैठक में सहिष्णुता बनाम असहिष्णुता पर विचार किया गया. इस अवसर पर रंगकर्मी व साहित्यकार राजीव थेपड़ा ने कहा कि देश के वातावरण को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 8, 2015 8:03 PM

सहिष्णुता बनाम असहिष्णुता पर किया गया विमर्शमानवतावादी राष्ट्रीय लेखक संघ की बैठकरांची. कांति कृष्ण कला भवन में रविवार को मानवतावादी राष्ट्रीय लेखक संघ के तत्वावधान में कलाकारों, साहित्यकारों की बैठक हुई. बैठक में सहिष्णुता बनाम असहिष्णुता पर विचार किया गया. इस अवसर पर रंगकर्मी व साहित्यकार राजीव थेपड़ा ने कहा कि देश के वातावरण को कुछ बुद्धिजीवी अौर कलाकार राष्ट्र द्वारा प्रदत सम्मान को लौटा कर खुद ही अपनी असहिष्णुता का परिचय दे रहे हैं. कवयित्री वीणा श्रीवास्तव ने कहा कि पुरस्कार लौटाना किसी का व्यक्तिगत मामला नहीं है. किसी को पुरस्कार दिये जाते ही वह पुरस्कार राष्ट्र का गौरव भी हो जाता है अौर उसे लौटाना एक तरह से राष्ट्र का धिक्कार करना ही है. कोई भी राष्ट्रभक्त अौर राष्ट्र की भलाई चाहनेवाला व्यक्ति ऐसा किसी भी हाल में नहीं करना चाहेगा. संघ के लोगों ने कहा कि यह विरोध का हाइप है अौर इससे संसार में देश के प्रति गलत संदेश जा रहा है. चेतनादित्य आलोक ने कहा कि भारत हजारों वर्ष से सहिष्णु राष्ट्र है अौर हमें इस पर गर्व है. जिस तरह से असहिष्णुता की बात यहां पर की जा रही है, उससे राष्ट्रीय स्तर पर भ्रम पैदा हो रहा है. इस वजह से दुनिया में भारत की छवि खराब हो रही है.

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