मोदी सरनेम पर टिप्पणी करने की वजह से राहुल गांधी को कोर्ट ने मानहानि केस में दो साल की सजा सुना दी है. इसके बाद यह पूछा जाने लगा है कि क्या राहुल गांधी की संसद की सदस्यता चली जायेगी? कोर्ट से सजा होने के बाद झारखंड में 6 विधायकों की सदस्यता जा चुकी है. झारखंड में पिछले 7 साल में 6 विधायकों की सदस्यता रद्द हो चुकी है. इसमें दो कांग्रेस के, दो झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के, एक आजसू के और एक झारखंड पार्टी के विधायक शामिल हैं. सबसे पहले वर्ष 2015 में लोहरदगा से आजसू के विधायक कमल किशोर भगत की सदस्यता गयी थी. रांची के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ केके सिन्हा पर हमला के मामले में उन्हें सजा हुई थी और उनकी सदस्यता रद्द कर दी गयी थी.
झारखंड पार्टी (झापा) के एनोस एक्का राज्य के दूसरे विधायक बने, जिनकी विधायकी रद्द हुई. वर्ष 2018 में उनकी सदस्यता रद्द कर दी गयी थी. वर्ष 2014 में एक एक मर्डर केस में उनका नाम आया था. इस मामले में कोलेबिरा के तत्कालीन विधायक एनोस एक्का को गिरफ्तार किया गया था. वर्ष 2018 में इस मामले में कोर्ट ने उन्हें सजा सुनायी और इसके साथ ही एनोस एक्का की विधानसभा की सदस्यता खत्म कर दी गयी.
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वर्ष 2018 में ही झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के दो विधायकों की विधानसभा की सदस्यता चली गयी थी. सिल्ली के विधायक अमित महतो और गोमिया के विधायक योगेंद्र महतो दोनों की सदस्यता इसी साल गयी थी. वर्ष 2006 में अमित महतो के खिलाफ मारपीट की एक शिकायत दर्ज करायी गयी थी. इस मामले में वर्ष 2018 में कोर्ट ने उन्हें सजा सुनायी और अमित महतो को न केवल जेल जाना पड़ा, बल्कि उनकी विधायिकी भी चली गयी.
इसी साल यानी वर्ष 2018 में योगेंद्र महतो की भी सदस्यता खत्म कर दी गयी थी. दरअसल, वर्ष 2010 में कोयला चोरी के मामले में उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. रामगढ़ जिला न्यायालय ने योगेंद्र महतो को दोषी पाया और उन्हें तीन साल की सजा सुनायी. इसके बाद उनकी विधानसभा की सदस्यता खत्म कर दी गयी.
वर्ष 2022 में बंधु तिर्की की सदस्यता रद्द हुई. झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) के टिकट पर चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचने के बाद उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया था. इस तरह कांग्रेस विधायक बंधु तिर्की की सदस्यता रद्द हो गयी.
वर्ष 2022 में ही कांग्रेस की एक और विधायक ममता देवी की भी सदस्यता रद्द हुई. हजारीबाग व्यवहार न्यायालय स्थित एमपी-एमएलए कोर्ट ने आइपीएल गोलीकांड मामले में ममता देवी को 5 साल कैद और 10 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनायी थी. इसके बाद ही विधानसभा ने इनकी सदस्यता रद्द करने की अधिसूचना जारी की.
जन-प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8 (1) और (2) में प्रावधान है कि यदि कोई सांसद या विधायक हत्या, बलात्कार, धर्म, भाषा या क्षेत्र के आधार पर शत्रुता पैदा करने, आतंकवादी गतिविधि या संविधान का अपमान करने जैसे अपराधों में शामिल पाया जाता है और कोर्ट उसे इस मामले में 2 साल से अधिक की सजा सुनाता है, तो उसकी संसद या विधानसभा की सदस्यता रद्द हो जायेगी. इतना ही नहीं, अधिनियम की धारा 8(3) में यह भी प्रावधान है कि इन अपराधों के अलावा अन्य अपराधों के लिए भी दोषी ठहराये जाने और दो वर्ष से अधिक की सजा होने पर किसी विधायक या सांसद की सदस्यता रद्द हो सकती है. 6 वर्ष तक उसके चुनाव लड़ने पर रोक लग सकता है.