राज्य में 2016 से पूर्व की नीति पर नियोजन के मामले में सोमवार को पहली पाली में विपक्ष ने जम कर हो-हल्ला किया. भाजपा विधायक वेल में घुसे और सरकार से जवाब मांगा. ‘60:40 नाय चलतो, 1932 की भैलो’ का नारा सदन में गूंजता रहा. भाजपा विधायक सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते रहे. विपक्षी विधायकों का कहना था कि सरकार स्थिति स्पष्ट करे.
सदन की कार्यवाही शुरू होते ही नीलकंठ सिंह मुंडा ने मामला उठाया. श्री मुंडा ने कहा कि खबर आ रही है कि सरकार ने 2016 से पूर्व की व्यवस्था के अनुरूप नियोजन नीति कैबिनेट से पास की है. इससे पूर्व विधानसभा ने 1932 का विधेयक पास किया था. सरकार सदन में बताये कि 2016 की नीति क्या है? हाइकोर्ट ने क्या कहा है, विधानसभा को बतायें.
ज्वलंत मुद्दा है. इस मुद्दे पर सरकार जवाब दे. आजसू विधायक सुदेश कुमार महतो का कहना था कि सरकार को बताना चाहिए कि सदन से पास हुई नीति को किस कारण बदल दिया गया. सरकार बताये कि इस नियोजन नीति में 1932 है या नही़ं. इसमें 1932 के लोगों को जगह मिलेगी या नहीं. स्पीकर रबींद्रनाथ महतो का कहना था कि चर्चा के क्रम में सरकार का उत्तर आयेगा, आप शांत रहें और अपनी सीट पर बैठ जायें.
विपक्ष के विधायक सुनने के लिए तैयार नहीं थे. इधर हो-हल्ला को बीच प्रश्नकाल चलाने की कोशिश होती रही. अल्पसूचित के माध्यम से निर्दलीय विधायक अमित कुमार यादव का इसी मुद्दे से मिलता हुआ प्रश्न आया. श्री यादव ने सरकार से पूछा था कि विगत तीन वर्षों से थर्ड और फोर्थ ग्रेड में नियुक्ति नहीं हो रही है.
उन्होंने कहा कि सरकार ने जो नियोजन नीति लायी है, उसमें बाहरी लोगों को लाने की तैयारी हो रही है. हो-हल्ला के बीच सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए विधायक आलमगीर आलम ने कहा कि हाइकोर्ट ने नियोजन नीति रद्द की थी. हाइकोर्ट के आदेश को आलोक में 12 विज्ञापनों को रद्द किया गया है.
झामुमो विधायक सुदिव्य कुमार का कहना था कि सरकार कैबिनेट के माध्यम से नीतियां लाती है. सरकार नियोजन नीति लायी है. सुदेश महतो बतायें कि 1932 का मामला एनडीए की सरकार के पास है उसका क्या हुआ? हो-हल्ला के बाद स्पीकर श्री महतो ने सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित की.