city news : ट्रॉमा सेंटर के 60 फीसदी बेड खराब स्थिति में, नये खरीदे भी नहीं जा रहे
मरीजों को हो रही है परेशान
रांची. रिम्स के ट्रॉमा सेंटर में 60 फीसदी बेड खराब स्थिति में हैं. इसमें 30 से 35 बेड ऐसे हैं, जिन्हें तत्काल बदलने की आवश्यकता है. इन बेडों पर गंभीर मरीजों का इलाज किया जाता है. क्योंकि मरीजों की गंभीरता के हिसाब से बेड के पोजिशन को बदलना पड़ता है, लेकिन बेड के खराब होने की वजह से ऐसा नहीं हो पा रहा है. इससे गंभीर मरीजों को परेशानी हो रही है. वहीं डॉक्टरों को भी इलाज में दिक्कत हो रही है. बेड को बदलने से संबंधित मांगपत्र प्रबंधन को समय-समय पर दिया जा रहा है, लेकिन किसी कारण से इस पर सहमति नहीं बन पा रही है. हालांकि प्रबंधन द्वारा इस पर अलग ही दलील दी जा रही है.
वर्ष 2019 में हुआ था ट्रामा सेंटर का निर्माण
वर्ष 2019 में ट्रॉमा सेंटर का निर्माण कराया गया था. जिसमें निर्माता एजेंसी द्वारा 100 बेड भी उपलब्ध कराया गया था. एजेंसी को एक साल तक बेड की देखरेख करनी थी. इसके बाद उसने हाथ खड़ा कर दिया. इसके बाद से वार्षिक रखरखाव अनुबंध (एएमसी) के लिए कंपनी से रिम्स का टाइअप नहीं हुआ. ऐसे में करीब पांच साल से बेड के रखरखाव पर किसी का ध्यान नहीं है. सूत्रों ने बताया कि विभाग के पास उपकरण और सामानों की खरीद के लिए पर्याप्त फंड है.निविदा की प्रक्रिया पूरी कर ली गयी है
ट्रॉमा सेंटर के आइसीयू में बेड की स्थिति खराब है, इसलिए निविदा प्रकिया पूरी कर ली गयी है. वर्तमान समय में आचार संहिता लगा हुआ है, इसलिए बेड की खरीदारी नहीं हो सकती है. दिसंबर के अंत तक बेड विभाग को उपलब्ध होने की उम्मीद है.डॉ राजीव रंजन, पीआरओ, रिम्स
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है