आधुनिकीकरण पर टिका है एचइसी का भवष्यि
आधुनिकीकरण पर टिका है एचइसी का भविष्य – एचइसी को चाहिए 1000 करोड़ – एचइसी स्थापना दिवस पर रिपोर्ट फोटो : स्कैन से अनुज भैया के पास है. संवाददाता, रांची हेवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन (एचइसी) का भविष्य आधुनिकीकरण पर टिका है़ देश-दुनिया में बदलते आर्थिक परिदृश्य और वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा में एचइसी को आगे निकलना है, तो […]
आधुनिकीकरण पर टिका है एचइसी का भविष्य – एचइसी को चाहिए 1000 करोड़ – एचइसी स्थापना दिवस पर रिपोर्ट फोटो : स्कैन से अनुज भैया के पास है. संवाददाता, रांची हेवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन (एचइसी) का भविष्य आधुनिकीकरण पर टिका है़ देश-दुनिया में बदलते आर्थिक परिदृश्य और वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा में एचइसी को आगे निकलना है, तो केंद्र सरकार को पहल करनी होगी़ देश निर्माण में भूमिका निभानेवाले एचइसी को बचाने के लिए समय के साथ बदलना होगा़ प्रबंधन ने आधुनिकीकरण को लेकर 1000 करोड़ का प्रस्ताव मेकन के सहयोग से बनाया है़ इसे एचइसी के बोर्ड से स्वीकृति भी मिल चुकी है़ अब केंद्र सरकार को निर्णय लेना है कि एचइसी को एक बार फिर पटरी पर लाने के लिए आर्थिक सहयोग करे़ पिछले दिनों केंद्रीय उद्योग मंत्री व उद्योग सचिव ने एचइसी के दौरे के क्रम में पूरा सहयोग करने की बात कही थी़ लेकिन प्रक्रिया में विलंब होने के कारण एचइसी की स्थिति दिनोंदिन खराब होती जा रही है़ एचइसी ने कई बार साबित की है अपनी उपयोगिता स्थापना काल से लेकर अब तक एचइसी समय-समय पर अपनी उपयोगिता साबित करता रहा है़ राउरकेला स्टील प्लांट, भिलाई स्टील प्लांट, बोकारो स्टील प्लांट के निर्माण में एचइसी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है़ एचइसी ने कोयला उद्योग, रक्षा विभाग, रेलवे, स्पेश के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण उपकरणों का निर्माण किया़ इसमें प्रमुख है इसरो का मोबाइल लाउंचिंग पैड. इसके अलावा बाहरी देशों के लिए भी एचइसी ने उपकरणों का निर्माण कर अरबों रुपये का विदेशी मुद्रा अर्जित किया है.एचइसी के पास 1500 करोड़ का कार्यादेश वर्तमान में विभिन्न कंपनियों का भरोसा अभी भी एचइसी पर कायम है़ एचइसी की मशीनों की क्वालिटी और फिनिसिंग इतनी अच्छी है कि माइनिंग, स्टील, डिफेंस क्षेत्र से एचइसी को कार्यादेश मिल रहे है़ं वर्तमान में एचइसी के पास 1500 करोड़ रुपये का कार्यादेश है़ पुरानी मशीन बन रही है बाधकएचइसी की स्थापना वर्ष 1958 में रूस, चेक गणराज्य सहित अन्य देशों के सहयोग से हुआ था़ एचइसी में लगी मशीन अब पुरानी हो गयी है़, इससे उत्पादन प्रभावित हो रहा है़ आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण मशीनों का आधुनिकीकरण नहीं हो रहा है़. इस कारण जो कार्य दूसरी कंपनियां एक माह में करती है, उस कार्य को एचइसी में करने में छह माह का समय लगता है़ वहीं ईंधन और मैन पावर भी अधिक लगता है़ इससे एचइसी को घाटा हो रहा है़ वर्तमान में घाटे में चल रहा है एचइसी वर्तमान में घाटे में चल रहा है़ वित्तीय वर्ष 2014-15 में एचइसी का घाटा सौ करोड़ रुपये से अधिक था़ हालांकि इससे पहले एचइसी लगातार छह वर्षों तक लाभ अर्जित करता रहा. एचइसी को वर्ष 2006-07 में 2़ 86 करोड़, 07-08 में 4़17 करोड़, 08-09 में 18़ 37 करोड़, 09-10 में 44़ 27 करोड़, 2010-11 में 39़ 14 करोड़, 2011-12 में 5़ 90, 2013-14 में 289 करोड़ का लाभ हुआ था़ मेक इन इंडिया का नारा पूरा कर सकता है एचइसी : सीएमडीएचइसी के सीएमडी अभिजीत घोष ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नारा मेक इन इंडिया एचइसी पूरा कर सकता है़ एचइसी के कर्मियों में वह क्षमता है कि वह जटिल से जटिल उपकरण का निर्माण कर सकता है़ एचइसी ने पूर्व में इसे साबित भी किया है़ अगर एचइसी को 1000 करोड़ की आर्थिक मदद मिल जाये, तो एचइसी का उत्थान हो सकता है़ वैसे भारी उद्योग मंत्रालय से पूरा सहयोग मिल रहा है़ मंत्रालय की पहल पर ही जीर्णोद्धार का प्रस्ताव बनाया गया है़