भाजपा संगठन पर बढ़ा सरकार का दबाव
भाजपा संगठन पर बढ़ा सरकार का दबावबोर्ड-निगम पर संगठन का टाल मटोल, मुख्यमंत्री ने किया हस्तक्षेपतीन माह में भी सरकार को नहीं सौंपी गयी कार्यकर्ताओं की सूचीसतीश कुमार, रांची.बोर्ड-निगम में भाजपा कार्यकर्ताओं की भागीदारी सुनिश्चित कराने को लेकर सरकार ने संगठन पर दवाब बनाया है. इसे लेकर मुख्यमंत्री रघुवर दास ने हस्तक्षेप किया है. संगठन […]
भाजपा संगठन पर बढ़ा सरकार का दबावबोर्ड-निगम पर संगठन का टाल मटोल, मुख्यमंत्री ने किया हस्तक्षेपतीन माह में भी सरकार को नहीं सौंपी गयी कार्यकर्ताओं की सूचीसतीश कुमार, रांची.बोर्ड-निगम में भाजपा कार्यकर्ताओं की भागीदारी सुनिश्चित कराने को लेकर सरकार ने संगठन पर दवाब बनाया है. इसे लेकर मुख्यमंत्री रघुवर दास ने हस्तक्षेप किया है. संगठन को जल्द से जल्द कार्यकर्ताओं की सूची फाइनल कर सरकार को सौंपने को कहा गया है. पार्टी सूत्रों के अनुसार वर्तमान संगठन के पदाधिकारी इस मुद्दे पर टाल-मटोल का रवैया अपना रहे हैं. इनका मानना है कि अगर बोर्ड-निगम को लेकर कुछ कार्यकर्ताओं के नाम भेजे गये, तो उन्हें सैकड़ों कार्यकर्ताओं की नाराजगी झेलनी पड़ेगी. पुरानी कमेटी के तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा हो चुका है. संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. इस वर्ष के अंत तक संगठनात्मक चुनाव संपन्न कराने का लक्ष्य तय किया गया है. वर्तमान पदाधिकारी चाहते हैं कि नयी कमेटी ही बोर्ड-निगम के लिए कार्यकर्ताओं के नाम तय करे. इधर मुख्यमंत्री रघुवर दास ने सारी जिम्मेवारी संगठन को सौंप दी है. साथ ही साफ कर दिया है कि आचारसंहिता के दौरान ही संगठन की ओर से सूची तैयार कर ली जाये, ताकि नये साल में कार्यकर्ताओं को नयी जिम्मेवारी सौंपी जा सके. छठ के बाद जिलाध्यक्षों से मिलेंगे सीएमछठ पर्व के बाद मुख्यमंत्री रघुवर दास पार्टी के जिलाध्यक्षों के साथ बैठक करेंगे. साथ ही उनसे संगठन के बारे में राय लेंगे. सरकार की ओर से चल रही विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के बारे जानकारी हासिल करेंगे. साथ ही योजनाओं को धरातल पर उतारने को लेकर सुझाव लेंगे. वर्तमान कमेटी के छह पदाधिकारी दोहरी भूमिका में रांची : भाजपा की वर्तमान कमेटी के छह प्रमुख पदाधिकारी लोकसभा और विधानसभा चुनाव जीत कर सांसद व विधायक बन चुके हैं. लोकसभा सभा चुनाव जीत कर प्रदेश अध्यक्ष डॉ रवींद्र कुमार राय और महामंत्री सुनील कुमार सिंह पहले ही सांसद बन चुके हैं. इनके अलावा आठ उपाध्यक्षों में से तीन विधायक बन गये हैं. इनमें दिनेश उरांव, अनंत ओझा और बिरंची नारायण शामिल हैं. इनके अलावा मंत्री आशा लकड़ा चुनाव जीत कर मेयर बन चुकी है. कुल 30 पदाधिकारियों में से छह फिलहाल दोहरी भूमिका निभा रहे हैं. अपने कामों के अलावा संगठन का भी काम देख रहे हैं. भाजपा में एक व्यक्ति एक पद का सिद्धांत है. हालांकि सांसद और विधायक को पार्टी में पद नहीं माना जाता है. प्रदेश संगठन मंत्री राजेंद्र सिंह बिहार विधानसभा चुनाव में दिनारा से चुनाव लड़े, लेकिन वे जीत नहीं पाये.