विडंबना: अब तक नहीं मिला है अनुदान
रांची: राज्य में संचालित संस्कृत स्कूलों तथा मदरसाें में कार्यरत शिक्षकों-कर्मचारियों को अब तक अनुदान नहीं मिला है. झारखंड में अनुदान देने का निर्णय सरकार ने वर्ष 2011 व 2013 में संपन्न मंत्रिमंडल की बैठक में लिया था. अनुदान किस नियम-परिनियम के आधार पर दिया जाये, इसका भी निर्णय राज्य मंत्रिमंडल ने लिया था. मिली […]
रांची: राज्य में संचालित संस्कृत स्कूलों तथा मदरसाें में कार्यरत शिक्षकों-कर्मचारियों को अब तक अनुदान नहीं मिला है. झारखंड में अनुदान देने का निर्णय सरकार ने वर्ष 2011 व 2013 में संपन्न मंत्रिमंडल की बैठक में लिया था. अनुदान किस नियम-परिनियम के आधार पर दिया जाये, इसका भी निर्णय राज्य मंत्रिमंडल ने लिया था.
मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2013 तक 160 संस्कृत स्कूलों में से सिर्फ 30 स्कूलों को स्थायी प्रस्वीकृति दी गयी थी, जबकि 591 मदरसा में से 37 को सरकार ने स्थायी प्रस्वीकृति प्रदान की है. वहीं प्रस्वीकृति के लिए दर्जनों संचिकाएं लंबित है. संस्कृत व मदरसा शिक्षक अनुदान के लिए मारे-मारे फिर रहे है. अनुदान के मुद्दे पर झारखंड वित्तरहित शिक्षक संयुक्त संघर्ष मोरचा ने बार-बार आंदोलन किया है, सरकार को मांग पत्र दिया लेकिन रिजल्ट अब तक शून्य रहा है. शिक्षक बिना वेतन के काम करने पर मजबूर है.
बिहार में संस्कृत व मदरसा शिक्षकों को सरकार ने राज्यकर्मी मानते हुए उन्हें वेतनमान भी प्रदान कर दिया है. झारखंड वित्तरहित शिक्षक संयुक्त संघर्ष मोरचा के रघुनाथ सिंह व हरिहर प्रसाद कुशवाहा ने बताया कि 1976 व 1980 नियमावली के तहत संस्कृत व मदरसा को प्रस्वीकृति दी गयी है. उक्त नियमावली में वित्तीय भार राज्य सरकार को वहन करना है. नियमवाली में उक्त प्रावधान की अनदेखी कर विभाग ने झारखंड अनुदान नियमावली 2004 के अनुसार अनुदान देेने की प्रक्रिया शुरू की है, जो उचित नही है.
कब-कब हुआ निर्णय
वर्ष 2011 में मंत्रिमंडल ने निर्णय लिया था कि बिहार सरकार की 1976 नियमावली के अनुसार संस्कृत स्कूलों को तथा 1980 नियमावली के अनुसार मदरसाें को प्रस्वीकृति दी जायेगी. साथ ही एक उच्चस्तरीय कमेटी बना कर अन्य राज्यों जैसे पश्चिम बंगाल, अोड़िशा, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश में संस्कृत स्कूलों व मदरसा को अनुदान देने की क्या व्यवस्था है, उसका अध्ययन कर रिपोर्ट मंगाने का भी निर्णय लिया था. तत्कालीन आरडीडीइ कोल्हान नागेंद्र ठाकुर की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने अध्ययन भी किया था. 19 दिसंबर 2013 में कैबिनेट ने अन्य राज्यों में अनुदान देने के सिस्टम का पुन: अध्ययन कर रिपोर्ट मंगाने का निर्णय लिया था. निर्णय के बाद संचिका घूमती रही, लेकिन कमेटी अब तक नहीं बनी है. इसके बाद वर्ष 2014 में मंत्रिमंडल ने अनुदान नियमावली 2004 के तहत अनुदान देने का निर्णय लिया था.
27 तक मांगा अनुदान का प्रस्ताव
इधर स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग के माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने अनुदान नियमावली 2004 के तहत अनुदान का प्रस्ताव मांगा है. 27 नवंबर तक डीइअो कायार्लय में इन मदरसों व संस्कृत विद्यालयों को अनुदान संबंधी प्रस्ताव जमा करने को कहा गया है.