अधिकारियों के पीआरपी भुगतान का दिया आदेश
रांची : कोल इंडिया ने अधिकारियों के वित्तीय वर्ष 2007-08 और 2008-09 के परफॉरमेंस रिलेटेड पे (पीआरपी) भुगतान का आदेश जारी कर दिया है. कोल इंडिया बोर्ड ने 13 नवंबर को पीआरपी देने पर सहमति जतायी थी. कोल इंडिया ने इसकी गणना का प्रारूप भी दे दिया है. इससे पूर्व केंद्रीय कैबिनेट ने 26 अक्तूबर […]
रांची : कोल इंडिया ने अधिकारियों के वित्तीय वर्ष 2007-08 और 2008-09 के परफॉरमेंस रिलेटेड पे (पीआरपी) भुगतान का आदेश जारी कर दिया है. कोल इंडिया बोर्ड ने 13 नवंबर को पीआरपी देने पर सहमति जतायी थी. कोल इंडिया ने इसकी गणना का प्रारूप भी दे दिया है.
इससे पूर्व केंद्रीय कैबिनेट ने 26 अक्तूबर को कोल इंडिया की सभी कंपनियों में काम करनेवाले अधिकारियों को एक सामान पीआरपी देने का आदेश दिया था. पूर्व में केंद्र सरकार ने कोल इंडिया की सभी कंपनियों को अपने-अपने प्रोफिट के आधार पर पीआरपी देने का आदेश दिया था. इसका कोल इंडिया के अधिकारी विरोध कर रहे थे. अधिकारियों का कहना था कि उनका कैडर कोल इंडिया का होता है, इस कारण उनको पीआरपी का भुगतान भी कोल इंडिया स्तर पर होना चाहिए.
429 करोड़ बांटे जायेंगे
अधिकारियों के बीच दो साल के प्रोफिट के रूप में 429 करोड़ रुपये बांटे जायेंगे. डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक इंटरप्राइजेज ने अधिकारियों के लिए पीआरपी की सिलिंग भी तय कर दी है. इ-1 से इ-3 अधिकारियों के लिए 40 फीसदी, इ-4 से इ-5 के लिए 50, इ-6 से इ-7 के लिए 60, इ-8 से इ-9 के लिए 70 तथा निदेशकों के लिए 150 फीसदी रखी गयी है. वार्षिक उपलब्धि पर इसकी गणना की जायेगी.
कोल इंडिया के विनिवेश का विरोध
कोल इंडिया के और 10 फीसदी विनिवेश की घोषणा का मजदूर यूनियनों ने विरोध किया है. ऐसा करने से कोल इंडिया का कुल 30 फीसदी विनिवेश हो जायेगा. एटक नेता लखन लाल महतो ने कहा कि प्रबंधन बार-बार मजूदरों से कहता रहा है कि आगे विनिवेश नहीं होगा. लेकिन एेसा किया गया है. इस मामले को लेकर सभी मजदूर यूनियन आपसी संपर्क में हैं. उम्मीद है कि दिसंबर के पहले सप्ताह रांची में मजदूर यूनियनों के प्रतिनिधि जुटेंगे. इसमें आंदोलन की रूपरेखा भी तय हो सकती है. द झारखंड कोलियरी मजदूर यूनियन के महासचिव सनत मुखर्जी ने कहा कि मजदूर आगे नहीं आये तो कोल इंडिया का भविष्य ठीक नहीं होगा. सेंट्रल ट्रेड यूनियनों को भी अपनी भूमिका पर फिर विचार करना होगा क्योंकि वे बार-बार प्रबंधन से ठगे जा रहे हैं.