आयोजन: इटकी मोड़ में सोहराई सह छठ जतरा जतरा, झारखंड की सांस्कृतिक पहचान
इटकी: इटकी मोड़ में गुरुवार को आदिवासियों का ऐतिहासिक सोहराई सह छठ जतरा सोल्लास संपन्न हो गया़ मौके पर जतरा स्थल स्थित शक्ति खूंट की पारंपारिक रीति रिवाज के साथ पूजा-अर्चना की गयी़.प्रभात खबर डिजिटल प्रीमियम स्टोरीJayant Chaudhary: क्या है ऑरवेलियन-1984, जिसका मंत्री जयंत चौधरी ने किया है जिक्रJustice Yashwant Varma Case: कैसे हटाए जा […]
इटकी: इटकी मोड़ में गुरुवार को आदिवासियों का ऐतिहासिक सोहराई सह छठ जतरा सोल्लास संपन्न हो गया़ मौके पर जतरा स्थल स्थित शक्ति खूंट की पारंपारिक रीति रिवाज के साथ पूजा-अर्चना की गयी़.
काठ के बने पड़हा निशान पर सवार होकर जतरा स्थल का भ्रमण किया गया व गीत-नृत्य प्रस्तुत किया गया़ जतरा में शामिल खोड़हा को पड़हा निशान सरना झंडा देकर सम्मानित भी किया गया़ सरना समिति बारीडीह के तत्वावधान में आयोजित जतरा में मुख्य अतिथि के रूप में रांची विवि के कुलानुशासक डॉ दिवाकर मिंज शामिल हु़ए़.
डॉ मिंज ने कहा कि जतरा झारखंड की सांस्कृतिक पहचान है. इसकी मजबूती से ही राज्य का विकास संभव है. उन्होंने सरना समाज से जतरा की परंपरा को कायम रखने का आह्वान किया. सभा को झरिया कुजूर, राजा मिंज, राज कुमार तिर्की व एतो भगत सहित अन्य ने संबोधित किया. मौके पर अली बकश अंसारी, भंगा उरांव, राजेश महतो, जगेश्वर सिंह, अंथोनी लकड़ा, लखन उरांव, विकल महतो, आनंद कुजूर, करमा टोप्पो, अमृत कच्छप, पेरो, चंदा, जुगी व राजा सहित झींझरी, बारीडीह, रानीखटंगा, कुंदी व इटकी सहित कई गांवों के पड़हा से संबंधित नृत्य दल मौजूद थे. पड़हा निशान हाथी व घोड़ा पर सवार होकर डॉ मिंज के अलावा राजा मिंज व झरिया कुजूर ने जतरा स्थल का भ्रमण किया. जतरा में ईख, मिठाई, झूला, सर्कस व चाट, फुचका के स्टॉल काफी संख्या में लगे थे.