जमीन पर कब्जा करनेवाले इंजीनियर को मिला पुरस्कार
रांची: आवास बोर्ड ने जमीन पर कब्जा कर मकान बनानेवाले इंजीनियर को फिर से जमशेदपुर में पदस्थापित किया है. विनोद कुमार नामक इस इंजीनियर ने जमशेदपुर में बोर्ड की जमीन पर कब्जा कर मकान बना लिया है. इसी कार्यपालक अभियंता की देखरेख में रांची मेें बोर्ड मुख्यालय भवन के निर्माण में भारी गड़बड़ी हुई और […]
रांची: आवास बोर्ड ने जमीन पर कब्जा कर मकान बनानेवाले इंजीनियर को फिर से जमशेदपुर में पदस्थापित किया है. विनोद कुमार नामक इस इंजीनियर ने जमशेदपुर में बोर्ड की जमीन पर कब्जा कर मकान बना लिया है. इसी कार्यपालक अभियंता की देखरेख में रांची मेें बोर्ड मुख्यालय भवन के निर्माण में भारी गड़बड़ी हुई और निर्माण अधूरा रह गया.
राज्य आवास बोर्ड नेे जमशेदपुर के तत्कालीन कार्यपालक अभियंता को गंभीर अनियमितताओं के आरोप में निलंबित किया था. इनमें बोर्ड की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के अलावा ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से न्यायालय का नाम लेकर बोर्ड को गलत सूचना देने जैसे आरोप शामिल थे. जमशेदपुर में किये गये कारनामों के मद्देनजर इस इंजीनियर को निलंबन मुक्त करने के बाद उसे हजारीबाग में पदस्थापित किया गया था. इसके बाद बोर्ड को इस इंजीनियर द्वारा जमशेदपुर में बोर्ड की ही जमीन पर कब्जा किये जाने की सूचना मिली. इसकी पुष्टि के लिए बोर्ड ने जांच करायी. जांच में इस इंजीनियर द्वारा बोर्ड की जमीन पर अवैध कब्जा कर अपना मकान बनाये जाने की पुष्टि हुई. जांच के बाद इस मामले में कार्रवाई के उद्देश्य से इंजीनियर से सपष्टीकरण पूछा गया, पर सपष्टीकरण पूछनेवाले अधिकारी का तबादला हो गया और पुरस्कार स्वरूप इंजीनियर विनोद कुमार को फिर से जमशेदपुर में कार्यपालक अभियंता के पद पर पदस्थापित कर दिया गया.
इंजीनियर ने न्यायालय के नाम पर झूठी सूचना दी थी
बोर्ड के इस इंजीनियर ने कमला कंस्ट्रक्शन को मदद पहुंचाने के लिए न्यायालय के नाम पर झूठी सूचना दी थी. जांच में पाया गया था कि जमशेदपुर स्थित भूखंड संख्या-2 को विकसित करने के लिए कमला कंस्ट्रक्शन के साथ एकरारनामा हुआ था. इसके बाद दस्तावेज में हेराफेरी कर एकरारनामे में कमला कंस्ट्रक्शन के बदले कमला आदित्य कंस्ट्रक्शन कंपनी कर दिया गया था. दस्तावेज में हुई इस जालसाजी का मामला पकड़ में आने का बाद बोर्ड ने ठेकेदार के साथ किये गये एकरारनामे को रद्द करने का आदेश दिया था. पर, इस इंजीनियर ने ठेकेदार के साथ किये गये एकरारनामे को रद्द करने के बदले बोर्ड को यह सूचना दी कि न्यायालय ने स्थगनादेश जारी किया है. हालांकि न्यायालय ने इस मामले में स्थग्नादेश नहीं दिया था.