पंचायत चुनाव में मोबाइल तकनीक कारगर

रांची: झारखंड के पंचायत चुनाव में मोबाइल तकनीक मतदाताओं और उम्मीदवारों के संशय निवारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. पंचायत चुनाव में बड़ी संख्या में कमजोर तबके खास कर अादिवासी और दलित महिलाएं चुनाव में खड़ी हैं. चुनाव अब केवल जनसमर्थन तक सीमित नहीं है. चुनाव में टेक्नो मैनेजरियल स्किल के साथ साथ न्यूनतम […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 23, 2015 1:36 AM
रांची: झारखंड के पंचायत चुनाव में मोबाइल तकनीक मतदाताओं और उम्मीदवारों के संशय निवारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. पंचायत चुनाव में बड़ी संख्या में कमजोर तबके खास कर अादिवासी और दलित महिलाएं चुनाव में खड़ी हैं. चुनाव अब केवल जनसमर्थन तक सीमित नहीं है. चुनाव में टेक्नो मैनेजरियल स्किल के साथ साथ न्यूनतम कानून और नियमावली की जानकारी जरूरी है. चुनाव दलगत स्तर पर नहीं हो रहा है और ज्यादातर उम्मीदवारों का जुड़ाव सीधे तौर पर राजनीतिक दलों से भी नहीं है.

ग्रासरूट लेवल पर इन कमजोर तबके के उम्मीदवारों को सहयोग देने में अधिकारी भी रुचि नहीं दिखाते हैं. ऐसे में एडीआर और मंथन युवा संस्थान की ओर से व्हाट्सएप्प नंबर जारी किया गया है. व्हाट्सएप्प की उपयोगिता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि व्हाट्स एप्प ग्रुप पंचायत चुनाव लाइव के बनते ही इससे सैकड़ों लोग जुड़ गये. इस पर प्रत्याशियों के सवालों का जवाब 24 घंटे के अंदर दे दिया जाता है. ग्रुप में पंचायत राज के जानकारों के अलावा जन प्रतिनिधियों को भी शामिल किया गया है.
निर्वाचन रद्द होने से बचा
मंथन युवा संस्थान के सुधीर पाल के अनुसार, व्हाट्सएप्प की वजह से अमोलिना का निर्वाचन रद्द होने से बच गया. वह मुखिया पद की उम्मीदवार हैं. अमोलिना पंचायत स्तरीय दरी कालीन बुनकर सहयोग समिति लिमिटेड की अध्यक्ष है. हालांकि उसे कोई मानदेय नहीं मिलता है और प्रथम दृष्ट्या उसे बताया गया कि वह बिना त्याग पत्र दिये चुनाव लड़ सकती हैं, लेकिन नामांकन के अंतिम दिन उसने व्हाट्सएप्प पर अपनी स्थिति पर जानकारी मांगी. उन्हें निर्वाचन नियमावली के आधार पर जानकारी दी गयी कि उन्हें नामांकन के साथ अपना त्याग पत्र भी देना जरूरी है. अमोलिया ने बताया कि यदि अंतिम समय में जानकारी नहीं मिलती, तो उसका नामांकन रद्द हो जाता.
मानकी मुंडा को मिली मदद
चाईबासा में कुछ लोगों और संगठनों ने यह प्रचारित किया कि मानकी मुंडा चुनाव नहीं लड़ सकते हैं. उनलाेगाें काे व्हाट्सएप्प के बारे जानकारी मिली और इससे उन्हें नामांकन में मदद मिली. आरक्षित सीट पर महिलाओं के नामांकन को लेकर तरह-तरह की अफवाहें फैलायी गयीं. आदिवासी, दलित और पिछड़ी जाति की महिलाएं जिन्होंने अंतरजातीय विवाह किया है, उनके खिलाफ माहौल बनाया गया कि वे अब आरक्षित सीट से चुनाव लड़ने के योग्य नहीं रह गयीं हैं. निर्वाचन आयोग के सहायक निदेशक प्रेमतोष चौबे और अवर सचिव अरविंद लाल ने व्हाट्सएप्प पर यह जानकारी दी कि अंतरजातीय विवाह से महिलाओं की जाति नहीं बदलती है. इस संबंध में आयोग ने निर्वाची पदाधिकारियों को सर्कुलर भी निर्गत किया.

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