पिछली सरकारों से अधिक वनभूमि के पट्टे दिये: लुईस मरांडी

पिछली सरकारों से अधिक वनभूमि के पट्टे दिये: लुईस मरांडीफोटो कौशिक- झारखंड जंगल बचाओ आंदोलन का ‘वनाश्रित महिलाओं की आजीविका’ पर राज्य स्तरीय संगोष्ठीसंवाददाता, रांची कल्याण मंत्री डॉ लुईस मरांडी ने कहा कि वनभूमि पट्टा देने के मामलों में पूर्ववर्ती सरकारों ने जितना काम किया, उससे अधिक काम इस सरकार ने किया है़ इस सरकार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 24, 2015 7:49 PM

पिछली सरकारों से अधिक वनभूमि के पट्टे दिये: लुईस मरांडीफोटो कौशिक- झारखंड जंगल बचाओ आंदोलन का ‘वनाश्रित महिलाओं की आजीविका’ पर राज्य स्तरीय संगोष्ठीसंवाददाता, रांची कल्याण मंत्री डॉ लुईस मरांडी ने कहा कि वनभूमि पट्टा देने के मामलों में पूर्ववर्ती सरकारों ने जितना काम किया, उससे अधिक काम इस सरकार ने किया है़ इस सरकार ने 29,000 से अधिक पट्टे दिये है़ं वन विभाग यदि वनाश्रितों के अधिकारों का हनन करता है, तो उन्हें सूचना दे़ं वे वन विभाग के सचिव से इस विषय पर बात करेंगी, ताकि मुकदमों के बजाये संवाद से मामले सुलझाये जाये़ं वे बिरसा झारखंड जंगल बचाओ आंदोलन की राज्य स्तरीय संगोष्ठी को संबोधित कर रही थीं. यह आयोजन ‘वनाश्रित महिलाओं की आजीविका’ विषय पर मंगलवार को एसडीसी सभागार में किया गया़उन्होंने कहा कि जिन लोगों को पट्टा नहीं मिला है, उनकी प्रखंडवार सूची आवेदन के वर्ष व तिथि के साथ उपलब्ध करायी जाये़ वनोपज के लिए अच्छे बाजार की व्यवस्था जरूरी है. इससे जीवनस्तर में सुधार आयेगा़ मुख्यमंत्री इस विषय पर व्यक्तिगत रुचि ले रहे हैं और परिणाम जल्द ही नजर आयेगा़ कल्याण मंत्री ने 80 फीसदी आदिवासी आबादी वाले गावों के स्वयं सहायत समूहों को प्रशिक्षण व बाद में एक लाख रुपये देने तथा हर वैसे गांव से मैट्रिक पास पांच युवाओं को व्यवसाय के लिए दो लाख रुपये देने की सरकारी योजनओं की जानकारी दी़कानून है, अनुपालन कराये सरकारराज्य महिला आयोग की अध्यक्ष महुआ माजी ने कहा कि वनाधिकार कानून बना हुआ है़ सरकार इसका सख्ती से अनुपालन कराये़ उन्होंने कहा कि राज्य शायद इसलिए पिछड़ा है, क्योंकि यहां महिलाओं को सशक्त करने के प्रयास नहीं हुए़ वनभूमि में रहने वाले व आसपास के लोगों को वनों से आजीविका का अधिकार है़ कुटीर उद्योग को बढ़ावा देकर अपनी आय बढ़ाने की दिशा में सोचे़ं यदि महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त होंगी, तो मानव तस्करी, डायन हत्या और घरेलू हिंसा जैसी बातों पर नियंत्रण संभव होगा़ कार्यक्रम में झारखंड जंगल बचाओ आंदोलन के संस्थापक प्रो संजय बसु मल्लिक, आंदोलन के संयोजक जेवियर कुजूर और नौ जिलों के 19 प्रखंडों की सैकड़ों महिलाएं उपस्थित थीं.

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