राजकिशोर का कार्यकाल आज समाप्त

रांची: झारखंड राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष राजकिशोर महतो का कार्यकाल 13 नवंबर को समाप्त हो जायेगा. राज्य सरकार द्वारा विधि आयोग को अवधि विस्तार दिये जाने पर फिलहाल कोई निर्णय नहीं हुआ है. हालांकि मुख्यमंत्री ने विधि आयोग की बाबत पूरी रिपोर्ट मांगी है. आयोग के अध्यक्ष राजकिशोर महतो ने कहा कि मुख्यमंत्री व […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 13, 2013 6:37 AM

रांची: झारखंड राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष राजकिशोर महतो का कार्यकाल 13 नवंबर को समाप्त हो जायेगा. राज्य सरकार द्वारा विधि आयोग को अवधि विस्तार दिये जाने पर फिलहाल कोई निर्णय नहीं हुआ है. हालांकि मुख्यमंत्री ने विधि आयोग की बाबत पूरी रिपोर्ट मांगी है.

आयोग के अध्यक्ष राजकिशोर महतो ने कहा कि मुख्यमंत्री व विधि विभाग के पास आयोग द्वारा किये गये कार्यो का ब्योरा भेज दिया गया है. मुख्यमंत्री द्वारा पूछा गया था कि जब से विधि आयोग बना है, तब से क्या-क्या काम हुए हैं.

श्री महतो ने बताया कि आयोग का गठन वर्ष 2003 में ही हुआ था. वर्ष 2010 में इसे बंद कर दिया गया था. फिर वर्ष 2012 में इसे पुनर्जीवित कर उन्हें अध्यक्ष बनाया गया. 23 मार्च 2012 को उनकी नियुक्ति 18 माह के लिए हुई थी. इस दौरान उन्होंने कई कार्य किये. सरकार द्वारा 17 एक्ट में संशोधन कर पेशा के अनुरूप बनाने का सुझाव मांगा गया था. इसमें माइनर मिनरल, माइनर इरिगेशन आदि शामिल था. आयोग ने इसकी रिपोर्ट भेज दी . आयोग द्वारा लोकायुक्त बिल का प्रारूप भी बना कर राज्य सरकार को दिया गया.

झारखंड राज्य विधि आयोग ने अपने कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण सुझाव दिये, जिस पर सरकार विचार कर रही है. इस संदर्भ में सरकार को विस्तृत रिपोर्ट भी पेश की गयी है.

सीएनटी में थाने व जिले का बंधन हटाने का सुझाव
श्री महतो ने बताया कि सीएनटी एक्ट के मामले को आयोग ने स्वत: संज्ञान लेते हुए इसकी समीक्षा की. आयोग द्वारा इस एक्ट के तहत जमीन बेचने के मामले में थाने व जिले का बंधन हटाने का सुझाव दिया गया था. कारण है कि जिले छोटे होते जा रहे हैं, थाने का दायरा भी कम होता जा रहा है. दूसरी ओर हरिजन, आदिवासी और पिछड़ों को बैंक लोन नहीं मिलता था.

इसमें सरकार को जानकारी दी गयी कि एक्ट में पहले ही संशोधन हो चुका है, बैंक ऋण दे सकते हैं. हरिजन और आदिवासियों की सूची को भी आयोग ने गलत ठहराया था. आयोग का मानना था कि यह सूची बिहार से एडॉप्ट की गयी है. जबकि राज्य अलग होने के बाद नयी सूची बननी चाहिए थी. श्री महतो ने कहा कि दर्जनों रिपोर्ट सरकार को दी गयी है, पर सरकार ने रिपोर्ट पर कोई काम नहीं किया. श्री महतो ने कहा कि यह नया राज्य है. वह अध्यक्ष पद पर रहें या न रहें. आयोग रहना चाहिए.

Next Article

Exit mobile version