बिना चढ़ावे का पास नहीं होता नक्शा फ्लैग : आरआरडीए को भी पीछे छोड़ दिया नगर निगम ने – 18 से 30 रुपये प्रति वर्ग मीटर है घूस की रकम- बिना दलाल के नक्शा पास कराना संभव नहीं – जमा करने से लेकर स्वीकृत नक्शे की कॉपी लेने तक चुकानी पड़ती है राशि – सत्ता के उच्च पद पर बैठे लोगों तक भी पहुंचता है हिस्सा निगम से नक्शा पास कराने के लिए कहां कितनी देनी पड़ती है घूसकाम®छोटे नक्शे के लिए®बहुमंजिली इमारतों के लिएविधि परामर्शी से कागजात की जांच कराना®500®2000-5000जेइ का साइट विजिट®1500-2000®5000-7000जेइ से मनमाफिक रिपोर्ट लिखवाना®1500®10000-15000एइ की टिप्पणी®1500®दो रुपये प्रति वर्गफीटटाउन प्लानर की टिप्पणी®2000®14 रुपये प्रति वर्गफीटफायर क्लीयरेंस®—®पांच रुपये प्रति वर्गफीटनक्शा शाखा से नक्शा प्राप्त करना®2000®500 रुपये प्रति फ्लैट/दुकानअन्य (फाइल मूव कराने, चाय-पानी का खर्च आदि) 500-2000 तक(नोट : घूस की राशि दलालों, बिल्डरों, आर्किटेक्ट और भुक्तभोगियों से बातचीत कर मालूम की गयी है)पार्षदों को भी चाहिए हिस्साघूस की रकम पर पार्षदों ने भी हिस्सेदारी जता दी है. नक्शों पर अधिकार की लड़ाई पार्षदों ने शुरू कर दी है. पार्षद चाहते हैं कि नक्शा स्वीकृति से पहले उनका हस्ताक्षर भी लिया जाये. हस्ताक्षर के बहाने पार्षद घूस की रकम में अपना हिस्सा निर्धारित करना चाहते हैं. इसी वजह से वह निगम बोर्ड और स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में लगातार हंगामा करते रहते हैं.टाउन प्लानर के लिए लगती है बोलीरांची नगर निगम में टाउन प्लानर का पद बहुत महत्वपूर्ण है. नक्शा स्वीकृति में टाउन प्लानर की अहम भूमिका के कारण इस पद के लिए बोली लगती है़ सत्ता के बड़े पद पर बैठे लोगाें का आशीर्वाद मिलना ही इस पद की सबसे बड़ी योग्यता मानी जाती है़ नगर विकास विभाग में टाउन प्लानर की योग्यता नहीं रखनेवालों को भी पद पर बैठाते रहने की परंपरा रही है़ अपवाद को छोड़ कर रांची नगर निगम या आरआरडीए का टाउन प्लानर सहायक अभियंता को ही बनाया जाता रहा है. फिलहाल, नगर विकास विभाग के पास एक ही टाउन प्लानर थे, जिसे पद से हटा दिया गया है. अफसर और इंजीनियर चाहते हैं पोस्टिंग नक्शों के कारण ही निगम में अफसर और इंजीनियर पोस्टिंग लेना चाहते हैं. इसके लिए पैरवी और पैसे दोनों दिल खोल कर लगाते हैं. निगम के अफसर बदलते ही नक्शा पास करने के लिए तय घूस की रकम बदल जाती है. बिना दलालों के रांची नगर निगम में नक्शा पास कराना असंभव है. नक्शा जमा करने से लेकर स्वीकृत नक्शे की कॉपी निकालने तक में हर कदम पर घूस देनी पड़ती है.विवेक चंद्ररांची : घूस लेकर नक्शा पास करने-कराने के खेल में रांची नगर निगम ने रांची क्षेत्रीय विकास प्राधिकार (आरआरडीए) को पीछे छोड़ दिया है. निगम में फिलहाल रेसिडेंशियल अपार्टमेंट (अर्द्ध व्यावसायिक उपयोग) का नक्शा स्वीकृत करने की फीस 30 रुपये प्रति वर्ग मीटर निर्धारित है़ वहीं, पूर्ण व्यावसायिक उपयोग के लिए बनाये जानेवाले भवन का नक्शा स्वीकृत करने की फीस 60 रुपये प्रति वर्गमीटर निर्धारित है. पर निगम में रेसिडेंशियल अपार्टमेंट का नक्शा जमा कराने के बाद निर्धारित फीस के अलावा 18 से 22 रुपये प्रति वर्ग मीटर अतिरिक्त राशि (घूस) की मांग की जाती है़ वहीं, पूर्ण व्यावसायिक भवन के लिए निर्धारित फीस से 26 से 30 रुपये प्रति वर्ग मीटर अतिरिक्त की मांग की जाती है़ इसके अलावा छोटा नक्शा पास कराने के लिए भी निर्धारित फीस (पांच रुपये प्रति वर्ग मीटर) के साथ पांच से सात रुपये प्रति वर्गफीट की दर से घूस मांगी जाती है.सबकी जेब में जाती है रकम घूस की रकम सबकी जेब में जाती है. घूस वसूली का सिलसिला नक्शा जमा करने के साथ ही शुरू हो जाता है. स्थल निरीक्षण करने आनेवाले कनीय अभियंता से लेकर फाइल डील करनेवाले बाबू तक और नक्शे की फाइल पर हस्ताक्षर करनेवाले अफसरों तक में घूस की रकम का बंटवारा होता है. सूत्रों की मानें, तो नक्शा पास करने के लिए वसूली जानेवाली राशि का हिस्सा सत्ता के ऊपरी पायदान तक पहुंचता है.
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बिना चढ़ावे का पास नहीं होता नक्शा फ्लैग : आरआरडीए को भी पीछे छोड़ दिया नगर निगम ने – 18 से 30 रुपये प्रति वर्ग मीटर है घूस की रकम- बिना दलाल के नक्शा पास कराना संभव नहीं – जमा करने से लेकर स्वीकृत नक्शे की कॉपी लेने तक चुकानी पड़ती है राशि – सत्ता […]
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