जागरूकता से हटेंगी कुरीतियां
रांची: राज्य में इतने अधिक बाल विवाह क्यों होते हैं? हाई स्कूलों में लड़कियों के ड्रेस कोड को बदलकर सलवार-कुर्ता क्यों कर दिया जाता है? बच्चों को मजदूरी करने के लिए क्यों बाध्य किया जाता है? लड़कियों की सुरक्षा के लिए बहुत सारे कानून है, फिर भी लड़कियां असुरक्षित क्यों है? राज्य से लड़कियों की […]
रांची: राज्य में इतने अधिक बाल विवाह क्यों होते हैं? हाई स्कूलों में लड़कियों के ड्रेस कोड को बदलकर सलवार-कुर्ता क्यों कर दिया जाता है? बच्चों को मजदूरी करने के लिए क्यों बाध्य किया जाता है? लड़कियों की सुरक्षा के लिए बहुत सारे कानून है, फिर भी लड़कियां असुरक्षित क्यों है? राज्य से लड़कियों की तस्करी क्यों की जाती है? सरकारी स्कूलों में पर्याप्त शिक्षक क्यों नहीं है? यूनिसेफ द्वारा बुधवार को डीपीएस स्कूल में आयोजित कार्यक्रम में बाल पत्रकारों ने झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष एसएस भोक्ता से उक्त सवाल पूछे.
श्री भोक्ता ने कहा कि सभी समस्याओं का एक ही हल है, शिक्षा और जागरूकता. इससे समाज की कुरीतियों को दूर किया जा सकता है. श्री भोक्ता ने कहा कि बाल पत्रकार कार्यक्रम झारखंड के छह जिलों के 210 स्कूलों में चलाया जा रहा है. इससे छह हजार से अधिक बच्चे जुड़े हुए है. संयुक्त राष्ट्र संघ के बाल अधिकार पर आधारित यह कार्यक्रम बच्चों को अभिव्यक्ति और सहभागिता का अधिकार देता है. बाल पत्रकार कार्यक्रम का विस्तार राज्य के सभी 40 हजार स्कूलों में किया जाना चाहिए. श्री भोक्ता ने बच्चों को दो दिसंबर को विधानसभा सत्र में भाग लेने का निमंत्रण दिया.
यूनिसेफ के झारखंड प्रमुख जॉब जकारिया ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र बाल समझौता के अनुच्छेद 13 के अनुसार बच्चों को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर उनको अपना विचार व्यक्त करने का अधिकार है. यह सरकार का दायित्व है कि वे बच्चों के मंतव्यों पर विचार करे.
कार्यक्रम में आइजी क्राइम संपत मीणा और उद्योग सचिव वंदना डाडेल ने भी अपने विचार व्यक्त किये. यूनिसेफ की कम्यूनिकेशन ऑफिसर मोइरा दावा ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के बाल अधिकार समझौता में वर्णित बाल अधिकारों के तहत प्रत्येक बच्चे को समान अधिकार है. भारत सहित दुनिया के अधिकांश देश इन अधिकारों को ले कर सहमत हुए हैं.
प्रभात खबर के वरिष्ठ पत्रकार अनुज सिन्हा ने कहा कि बाल पत्रकारिता जेनरेशन गैप को भरने का माध्यम है. मां-बाप बच्चों पर अपनी इच्छाओं को थोपते हैं. बच्चे इस संदर्भ में लिख कर अपनी भावना व्यक्त कर सकते हैं. शब्दों में बहुत ताकत होती है. इससे पत्थर दिल भी पिघल जाते हैं. इसके लिए उन्होंने कई उदाहरण भी दिये. वरिष्ठ पत्रकार विनय भूषण ने कहा कि आज बहुत सी खबरें बन ही नहीं पातीं. बच्चे अपनी भावना को उचित फोरम पर व्यक्त करें. इसके लिए वह संपादक के नाम पत्र, ई-मेल भी कर सकते हैं. जब कोई नेता व अधिकारी आपकी बात को नहीं सुनता, तो आप अखबार को लिखें. इससे सरकार सजग होगी और कार्य होगा. कार्यक्रम में डीपीएस स्कूल के प्राचार्या एसएस मोहंती ने भी संबोधित किया. इस अवसर पर बच्चों ने कविता व नृत्य के माध्यम से लोगों को जागरूक किया.