कमजोर लोगों की सेवा करें

कमजोर लोगों की सेवा करें नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी का पहला दीक्षांत समारोह, राज्यपाल ने कहा लाइफ रिपोर्टर @ रांची राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि राज्य गठन के 15 साल बाद भी झारखंड में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के स्तर की कोई संस्थान नहीं बन सकी है. शुरुआत में कठिन दौर से गुजरने के बाद संस्थान […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 28, 2015 7:06 PM

कमजोर लोगों की सेवा करें नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी का पहला दीक्षांत समारोह, राज्यपाल ने कहा लाइफ रिपोर्टर @ रांची राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि राज्य गठन के 15 साल बाद भी झारखंड में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के स्तर की कोई संस्थान नहीं बन सकी है. शुरुआत में कठिन दौर से गुजरने के बाद संस्थान का पहला बैच आज निकल रहा है. पहले बैच के विद्यार्थियों की जिम्मेदारी है कि वह इस संस्थान के साथ-साथ जनजातीय राज्य का नाम देश-दुनिया में रोशन करें. राज्यपाल शनिवार को नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ स्टडी एंड रिसर्च ऑफ लॉ के पहले दीक्षांत समारोह में बोल रही थीं. उन्होंने कहा कि लीगल पेशे ने स्वतंत्रता आंदोलन में अहम भूमिका निभायी थी. इस पेशे का सही उपयोग कमजोर, गरीब और जरूरतमंद लोगों की सेवा करना है. झारखंड में लीगल सर्विसेस अथॉरिटी इस दिशा में काफी सराहनीय काम कर रहा है. लोगों के विवाद सुलझाने के कई नये रास्ते खोले गये हैं. रूल ऑफ लॉ के सुचिता की रक्षा करें : जस्टिस इकबालदीक्षांत समारोह के अध्यक्षीय भाषण में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमवाइ इकबाल ने कहा कि कानून के पेशे में जानेवालों को हमेशा रूल ऑफ लॉ की सुचिता की रक्षा करनी चाहिए. इसका उपयोग हमेशा देश की एकता और अखंडता के लिए होनी चाहिए. यहीं हमारे देश को विश्व में नेतृत्व करने का रास्ता बनायेगा. उन्होंने कहा कि कानून के पेशे में भी काफी बदलाव आ रहा है. इस कारण इसे पेशे के रूप में अपनाने वालों का रास्ता भी खुल रहा है. राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय संस्थान के साथ-साथ कॉरपोरेट सेक्टर में भी काफी संभावना खुली है. ज्यादातर संस्थान पर संकट का दौर है. अच्छे शिक्षकों की कमी है. कई संस्थान राजनीति से प्रभावित हैं. इस तरह की सभी समस्याओं का निदान हम अपनी मजबूत इच्छाशक्ति से कर सकते हैं. इस पेशे का सबसे मजबूत स्तंभ अपने क्लाइंट के साथ प्रभावशाली बातचीत है. कई मामलों में क्लाइंट को परेशान भी किया जाता है. जस्टिस इकबाल ने कहा कि कानून की शिक्षा प्राप्त करनेवाले युवाओं को हमेशा समाज के बारे में सोचना चाहिए. उनको कानून के मेन स्ट्रीम में काम करने का प्रयास करना चाहिए. राज्य सरकारों को चाहिए कि न्यायिक सेवा में ज्यादा से ज्यादा लोग आयें…………………बढ़ रही है कानूनी उलझन : जस्टिस बीरेंद्र सिंहझारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति बीरेंद्र सिंह ने कहा है कि कानून रॉयल पेशा है. इसमें इज्जत और सम्मान है. समाज में अपनी पहचान है. देश में जिस तेजी से आबादी बढ़ रही है, उसी तेजी से कानूनी उलझनें भी बढ़ रही हैं. कॉरपोरेट, एनजीओ के साथ-साथ कई क्षेत्र में कानून की पढ़ाई करनेवालों को मौका मिल रहा है. श्री सिंह ने कहा कि काफी कठिनाइयों के साथ इस संस्थान की स्थापना हुई थी. अपना कैंपस भी नहीं था. इसके बावजूद संस्थान ने अपनी एकेडमिक क्षमता बनाये रखी. पांच साल की अवधि में ही राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनायी. श्री सिंह ने कहा कि पर्यावरण को हो रहे नुकसान को रोकना आज चुनौती है. इसमें कानून के क्षेत्र में काम करने वालों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी. उनको तय करना होगा कि विकास और विनाश के बीच का रास्ता कैसे निकाला जायेगा. दूरस्थ शिक्षा शुरू होगी : कुलपतिइससे पूर्व अतिथियों का स्वागत नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के कुलपति बीसी निर्मल ने किया. उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में संस्थान में कई प्रकार का कोर्स शुरू करने की योजना है. दूरस्त शिक्षा शुरू करने का काम हो रहा है. कई जर्नल भी प्रकाशित किये जायेंगे. अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन पीपी मित्रा ने किया. झुनझुनवाला ने दिये तीन लाख रुपये खेतान एंड कंपनी के एडवोकेट आरएन झुनझुनवाला ने संस्थान में आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को स्कॉलशिप देने के लिए तीन लाख रुपये देने का वादा किया है. कुलपति ने इसकी घोषणा की. उन्होंने बताया कि 2016 में उन्होंने 24 गोल्ड मेडल देने का वादा किया है.

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