कंप्यूटर ऑपरेटर नक्शों की किस्मत करते हैं तय

रांची: रांची नगर निगम में जमा किये गये नक्शे की किस्मत नक्शा शाखा में कार्यरत कंप्यूटर ऑपरेटर तय करते हैं. ये कंप्यूटर ऑपरेटर ही तय करते हैं कि कौन से नक्शे को समय पर साहब के टेबल पर पहुंचाना है और किस फाइल को दबा देना है. बिना इस टेबल पर राशि दिये इस टेबल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 29, 2015 7:04 AM
रांची: रांची नगर निगम में जमा किये गये नक्शे की किस्मत नक्शा शाखा में कार्यरत कंप्यूटर ऑपरेटर तय करते हैं. ये कंप्यूटर ऑपरेटर ही तय करते हैं कि कौन से नक्शे को समय पर साहब के टेबल पर पहुंचाना है और किस फाइल को दबा देना है. बिना इस टेबल पर राशि दिये इस टेबल से नक्शा का मूवमेंट पूरी तरह से रुक जाता है. ये ऑपरेटर अपने साहबों के भी खासमखास होते हैं. इसलिए सरकार बदले, अधिकारी बदले, परंतु ये नक्शा शाखा से टस से मस नहीं होते हैं. इन ऑपरेटरों की कमाई का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि इनको निगम से वेतन के नाम पर मात्र कुछ हजार रुपये ही मिलते हैं, परंतु कार्यालय आने-जाने के लिए ये कार का प्रयोग करते हैं.
नक्शा पास कराने का लेते हैं ठेका
निगम में नक्शा जमा होने के बाद सीधे यह नक्शा इनके पास ही आता है. चूंकि नक्शे की सारी मूवमेंट इसके बाद इनके टेबल से ही होती है. इसलिए ये आवेदकों से डील करते हुए कहते हैं कि आपका नक्शा तो बड़ा है. उसे स्वीकृत कराने में कम से कम इतना माल डाउन करना पड़ेगा. एक बार राशि ले लेने के बाद ये उस राशि का तय हिस्सा संबंधित अधिकारियों के टेबल पर पहुंचा देते हैं. साथ ही आवेदक को बता देते हैं कि फलां तारीख तक आपका नक्शा स्वीकृत हो जायेगा. नक्शा स्वीकृति कराने के इस खेल में आरआरडीए का एक कंप्यूटर ऑपरेटर भी शामिल है. यह ऑपरेटर हर दिन रांची नगर निगम के कार्यालय में आकर नक्शे का डील फाइनल करता है.
नहीं लगा कहीं मन : आरआरडीए में नक्शा घोटाला के बाद एक अभियंता का तबादला माडा धनबाद में कर दिया गया. कुछ सालों तक तो वे धनबाद में रहे, परंतु नयी सरकार बनने के बाद जुगाड़ भिड़ा कर फिर वापस निगम में आ गये. अभी ये निगम की नक्शा शाखा में बतौर सहायक अभियंता काम कर रहे हैं. इस अभियंता के लिए वसूली आरआरडीए का एक कंप्यूटर ऑपरेटर करता है.
ऐसे-ऐसे हैं कारनामें हैं अभियंताओं के
वर्ष 2012 में नक्शा शाखा के एक सहायक अभियंता ने एक व्यक्ति से नक्शा में टिप्पणी लिखने के एवज में एक लाख रुपये की घूस ली थी. बाद में सीएमओ से अभियंता की शिकायत निगम के तत्कालीन डिप्टी सीइओ के पास की गयी. डिप्टी सीइओ ने इसके बाद अभियंता को बुला कर डांटा-फटकारा व घूस के रूप में लिये एक लाख रुपये आवेदक को वापस करवाया. डिप्टी सीइओ ने फिर इस अभियंता का तबादला नगर निगम के वाटर बोर्ड में कर दिया. परंतु कुछ दिनों के बाद डिप्टी सीइओ कातबादला हो गया. फिर इस अभियंता ने जुगाड़ भिड़ाया, और निगम की नक्शा शाखा में वापस आ गया. तब से यह अभियंता नक्शा शाखा में ही जमा है.

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