बेकार हो गया हाइजेनिक फिश मार्केट …तसवीरें सिटी के फ्लोडर में फिश नाम से है
बेकार हो गया हाइजेनिक फिश मार्केट …तसवीरें सिटी के फ्लोडर में फिश नाम से हैनिर्माण पर खर्च कर डाले तीन करोड़, पर मार्केट शुरू हुआ ही नहीं वरीय संवाददाता, रांचीपशुपालन विभाग ने विधानसभा, एचइसी के पास एक हाइजेनिक फिश मार्केट बनाया है. इस पर करीब तीन करोड़ रु खर्च हुए हैं. तत्कालीन विभागीय मंत्री मन्नान […]
बेकार हो गया हाइजेनिक फिश मार्केट …तसवीरें सिटी के फ्लोडर में फिश नाम से हैनिर्माण पर खर्च कर डाले तीन करोड़, पर मार्केट शुरू हुआ ही नहीं वरीय संवाददाता, रांचीपशुपालन विभाग ने विधानसभा, एचइसी के पास एक हाइजेनिक फिश मार्केट बनाया है. इस पर करीब तीन करोड़ रु खर्च हुए हैं. तत्कालीन विभागीय मंत्री मन्नान मल्लिक ने 29 अगस्त 2014 को इस फिश मार्केट का उद्घाटन किया था. सरकार की सोच थी कि इस मार्केट के जरिये लोगों को ताजा मछलियां एक साफ-सुथरे माहौल में उपलब्ध करायी जायेगी. इससे मछली विक्रेताअों का भी आत्मविश्वास बढ़ेगा तथा वे साफ-सफाई अपनाएंगे. इधर मछली खाने के शौकीन भी खुश थे कि वह वहां पूरी तरह संतुष्ट होंगे. पर करीब डेढ़ वर्ष पहले हुए उद्घाटन के बाद से यह मार्केट कभी संचालित ही नहीं हुआ. इधर करीब 10-15 मछली विक्रेता इस हाइजेनिक फिश मार्केट के गेट के पास खुले तथा पूरी तरह अनहाइजेनिक (अस्वच्छ) माहौल में मछली बेचते हैं. इनमें से कुछ वैसे विक्रेता भी हैं, जिन्होंने इस मार्केट में जगह पाने के लिए सरकार को शुल्क अदा किये हैं. एेसे लोग खुद को छला महसूस करते हैं. स्वच्छता यहां कहीं नहीं दिखती. न परिसर में, ना ही मछली बेचने की शैली में और ना ही उत्पाद में. भवन हो रहा जर्जर इधर, बेकार पड़ा भवन भी धीरे-धीरे जर्जर हो रहा है. फॉल्स सीलिंग टूट रही है. दीवारों पर दरार आ गयी है. बरसात में छत से पानी टपकता है. इस मार्केट का कभी प्रचार-प्रसार भी नहीं हुआ, ताकि मछली खाने वाले लोग यहां से ताजी व स्वच्छ मछली खरीदें. थाईलैंड जा चुके एक स्थानीय सज्जन का सुझाव है कि इस मार्केट को थाईलैंड के रोडसाइड फिश मार्केट की तर्ज पर विकसित कर इसे सफल बनाया जा सकता है. गरीब मछली विक्रताअों की समस्या समझ कर उनकी क्षमता, उत्पाद और पूंजी का विस्तार करने से राज्य में मछली का उत्पादन व बाजार दोनों बढ़ेगा.