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झारखंड कोअॉपरेटिव फेडरेशन में लाखों की वत्तिीय गड़बड़ी

झारखंड कोअॉपरेटिव फेडरेशन में लाखों की वित्तीय गड़बड़ीजांच में वित्तीय गड़बड़ी का आरोप प्रमाणितफेडरेशन के अध्यक्ष ने बिना वित्तीय अधिकार के लाखों खर्च किया, खर्च का नहीं है कोई हिसाब16.31 लाख रुपये निकला, खर्च हुआ, पर रजिस्टर में इंट्री नहींटीम का गठन कर मामले की जांच करायी गयी, रिपोर्ट विभाग कोराणा प्रताप, रांची राज्य में […]

झारखंड कोअॉपरेटिव फेडरेशन में लाखों की वित्तीय गड़बड़ीजांच में वित्तीय गड़बड़ी का आरोप प्रमाणितफेडरेशन के अध्यक्ष ने बिना वित्तीय अधिकार के लाखों खर्च किया, खर्च का नहीं है कोई हिसाब16.31 लाख रुपये निकला, खर्च हुआ, पर रजिस्टर में इंट्री नहींटीम का गठन कर मामले की जांच करायी गयी, रिपोर्ट विभाग कोराणा प्रताप, रांची राज्य में सहकारिता आंदोलन आैर सहकारी सहयोग समितियों को बढ़ावा देने के लिए बनायी गयी झारखंड कोअॉपरेटिव फेडरेशन लिमिटेड में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताएं की गयी हैं. बिना अधिकार के फेडरेशन के अध्यक्ष अजय कच्छप ने लाखों रुपये की निकासी कर खर्च किया है, जिसका कही हिसाब नहीं है. एक अप्रैल 2014 से बैंक से निकाले गये लगभग 16.31 लाख रुपये को खर्च कर दिया गया, लेकिन उसे रजिस्टर में कही इंट्री नहीं की गयी है. वित्तीय गड़बड़ी के अलावा प्रशासनिक स्तर पर भी अनियमितताएं बरती गयी है. विभाग द्वारा गठित टीम की जांच में फेडरेशन पर लगाये गये आरोप प्रमाणित हुए हैं. निकाली गयी व खर्च की गयी राशि की रजिस्टर में इंट्री नहीं होने को जांच टीम ने सरकारी राशि के गबन का मामला माना है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, संयुक्त निबंधक ने जांच रिपोर्ट निबंधक सहयोग समितियां को समर्पित (886/30.11.2015) कर दी है. वित्तीय गड़बड़ी के इस खेल में शामिल फेडरेशन के पदाधिकारियों के खिलाफ अब तक किसी प्रकार की कार्रवाई की सूचना नहीं है. उल्लेखनीय है कि फेडरेशन में हो रही गड़बड़ियों की शिकायत जमशेदपुर के जगदीश लाल खरबंदा ने की थी. उनकी शिकायत को गंभीरता से लेते हुए विभाग ने जिला सहकारिता पदाधिकारी व सहायक निबंधक सहयोग समितियां की जांच टीम गठित की थी. मिली जानकारी के अनुसार, 4000 रसीद (50-50 के 80 पुस्तिका) छपवायी गयी. फेडरेशन कार्यालय में रसीद 18 पुस्तिका उपलब्ध है, शेष 62 पुस्तिका की कोई जानकारी नहीं है. फेडरेशन कार्यालय में समुचित रूप से न तो रजिस्टर आैर न ही संचिका संधारित है. कर्मचारी अस्थायी हैं. एक भी स्थायी कर्मी नियुक्त नहीं है. बिना टेंडर प्रक्रिया के फ्लेक्स प्रींटिंग के नाम पर 10 अप्रैल 2013 को लगभग 1.54 लाख तथा 10 अप्रैल 2014 को 1.53 लाख रुपये खर्च किया गया है. राज्य सरकार से प्राप्त हिस्सा पूंजी 75 लाख रुपये में से 22.98 लाख रुपये की भी निकासी की गयी है. वर्जनझारखंड को-अॉपरेटिव फेडरेशन की अनियमितताअों की जांच से संबंधित रिपोर्ट मेरे पास अब तक नहीं पहुंची है. उन्हें मामले की जानकारी भी नहीं है. रिपोर्ट देखने के बाद कार्रवाई करेंगे. नितिन मदन कुलकर्णी, सचिव कृषि व सहकारिता विभाग

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