आदिम जनजाति को नहीं मिल रहा है पेंशन योजना का लाभ
आदिम जनजाति को नहीं मिल रहा है पेंशन योजना का लाभमहिला, बाल विकास और सामाजिक सुरक्षा विभाग की तरफ से संचालित की जा रही है योजना वरीय संवाददाता, रांचीझारखंड सरकार की तरफ से शुरू की गयी आदिम जनजाति पेंशन योजना का लाभ समुदाय के लोगों को नहीं मिल पा रहा है. योजना को सफलता पूर्वक […]
आदिम जनजाति को नहीं मिल रहा है पेंशन योजना का लाभमहिला, बाल विकास और सामाजिक सुरक्षा विभाग की तरफ से संचालित की जा रही है योजना वरीय संवाददाता, रांचीझारखंड सरकार की तरफ से शुरू की गयी आदिम जनजाति पेंशन योजना का लाभ समुदाय के लोगों को नहीं मिल पा रहा है. योजना को सफलता पूर्वक क्रियान्वित करने के लिए जनजातीय उप योजनावाले जिले के उपायुक्तों को आवश्यक दिशा-निर्देश देने और लाभुकों की पहचान करने की कार्रवाई चल रही है. जुलाई 2015 से योजना शुरू की गयी. चालू वित्तीय वर्ष में 47 करोड़ रुपये योजना के लिए रखे गये हैं. इसमें से 18 करोड़ से अधिक ही राशि आवंटित की गयी है. 234 लाभुकों को पहले चरण में जोड़ा गया है. इन्हें सिर्फ 8.42 लाख रुपये बतौर पेंशन दिये गये. अन्य लाभुकों की पहचान और उन्हें पेंशन की राशि देने में सरकार की तरफ से देर हो रही है. महिला, बाल विकास और सामाजिक सुरक्षा विभाग की तरफ से योजना संचालित की जा रही है. मुख्यमंत्री की पहल पर लिया गया था निर्णयमुख्यमंत्री रघुवर दास के आदेश पर राज्य योजना से आदिम जनजाति समूह के असूर, बिरहोर, बिरजिया, हिल-खरिया, कोरवा, माल पहाड़िया, परहिया, सौरिया पहाड़िया और सबर जाति के सदस्यों को पेंशन देने का निर्णय लिया गया था. सरकार की तरफ से आदिम जनजाति को वृद्धावस्था पेंशन, विधवा पेंशन और अन्य सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता था. इन्हें किसी सरकारी और निजी अथवा सार्वजनिक क्षेत्रों में नौकरी जैसा लाभ नहीं मिल पा रहा था. इन समुदाय के लोगों को नियमित आय का साधन मिले, इसी को आधार मान कर ही पेंशन देने की योजना शुरू की गयी. प्रत्येक माह लाभुकों को छह सौ रुपये दिये जाने का फैसला लिया गया है.