बड़े पैमाने पर शीशल उत्पादन का प्रस्ताव तैयार करा रहा निगम
बड़े पैमाने पर शीशल उत्पादन का प्रस्ताव तैयार करा रहा निगम वन विभाग की अनुसंधान इकाई से हुई थी 70 लाख की बिक्री वरीय संवाददाता, रांचीवन विकास निगम बड़े पैमाने पर शीशल उत्पादन का प्रस्ताव तैयार कर रहा है. निगम बंजर भूमि पर इसकी खेती कराना चाहता है. इससे बंजर भूमि धारकों को लाखों रुपये […]
बड़े पैमाने पर शीशल उत्पादन का प्रस्ताव तैयार करा रहा निगम वन विभाग की अनुसंधान इकाई से हुई थी 70 लाख की बिक्री वरीय संवाददाता, रांचीवन विकास निगम बड़े पैमाने पर शीशल उत्पादन का प्रस्ताव तैयार कर रहा है. निगम बंजर भूमि पर इसकी खेती कराना चाहता है. इससे बंजर भूमि धारकों को लाखों रुपये की कमाई कम मेहनत में हो सकती है. निगम प्रस्ताव तैयार कर राज्य सरकार को देगा. वन विभाग की अनुसंधान इकाई शीशल पर लातेहार में अनुसंधान करती है. अनुसंधान के दौरान ही वन विभाग को 100 हेक्टेयर में इसकी खेती करायी थी. वर्ष 2013-14 के दौरान यहां करीब 100 एमटी के आसपास फाइबर तैयार हुआ था. बीते वित्तीय वर्ष में करीब 90 एमटी के आसपास फाइबर तैयार हुुआ था. इससे दो साल में करीब 70 लाख रुपये के फाइबर की बिक्री हुई थी. उस दौरान वन विभाग की अनुसंधान इकाई में मुख्य वन संरक्षक के पद पर भारतीय वन सेवा के अधिकारी लाल रत्नाकर सिंह पदस्थापित थे. इनका तबादला प्रमोशन के साथ अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक के पद पर वन विकास निगम में हो गया है. रस्सी बनाने में होता है उपयोग शीशल का उपयोग रस्सी बनाने में होता है. इसकी रस्सी मजबूत होती है. गुजरात में इसका व्यावसायिक उत्पादन हो रहा है. निगम झारखंड में इसे व्यावसायिक रूप देने का प्रयास कर रहा है. लातेहार में शीशल का प्रसोसिंग प्लांट है, जिससे फाइबर तैयार होता है. फाइबर से रस्सी बनाया जाता है. इसकी व्यवस्था नहीं है. वर्जन…राज्य में इसके उत्पादन की काफी संभावना है. राज्य में कई ऐसे स्थान हैं जहां खेती नहीं होती है, वर्षों से बंजर है. कम बारिश में भी इसकी खेती हो सकती है. इससे वैसी जमीन रखने वालों को लाभ हो सकता है. निगम इसके लिए प्रयासरत है. झारखंड में करीब 25 फीसदी बंजर भूमि है. इसमें 10 फीसदी भूमि पर भी शीशल के उत्पादन होने से किसानों के हालात सुधर सकते हैं. एलआर सिंह, महाप्रंबधक, वन विकास निगम