प्रभात खबर की ओर से प्रकाशित पुस्तक शौर्य गाथा का विमोचन, बोले वक्ता हमें गर्व है अपने सैनिकों पर

शनिवार को प्रभात खबर की ओर से प्रकाशित पुस्तक शौर्य गाथा के विमोचन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने किया. समारोह का आयोजन रांची कॉलेज के अार्यभट्ट सभागार में किया गया था़ मौके पर मुख्यमंत्री ने शहीदों के परिजनों को सम्मानित भी किया़ कार्यक्रम में बड़ी संख्या में राज्य के गणमान्य लोग पहुंचे थे. सेना के अफसरों, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 6, 2015 5:40 AM
शनिवार को प्रभात खबर की ओर से प्रकाशित पुस्तक शौर्य गाथा के विमोचन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने किया. समारोह का आयोजन रांची कॉलेज के अार्यभट्ट सभागार में किया गया था़ मौके पर मुख्यमंत्री ने शहीदों के परिजनों को सम्मानित भी किया़ कार्यक्रम में बड़ी संख्या में राज्य के गणमान्य लोग पहुंचे थे. सेना के अफसरों, जवानों और एनसीसी के कैडेट्स ने भी अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम की गरीमा बढ़ायी. वक्ताओं ने कहा कि हमें देश के सैिनकों पर गर्व है. उन्हीं की वजह से हम चैन की नींद सो पाते हैं.
देश के लिए जान की बाजी लगा देते हैं हमारे सैिनक : सीपी सिंह
नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने सैनिकों और उनके परिजनों को नमन करते हुए कहा : प्रभात खबर केवल अखबार नहीं निकालता है. यह वैसे सभी कार्य करता है, जो लोग अपेक्षा करते हैं. जो आम लोगों को प्रेरणा देते हैं. शौर्यगाथा उसी की एक कड़ी है. सैनिकों को सम्मान देकर प्रभात खबर ने शानदार काम किया है. श्री सिंह ने कहा : सभी जानते हैं कि सरहद पर रहना, वहां काम करना कितना मुश्किल है. सरहद की कठिन परिस्थितियों में देश की रक्षा के लिए जान की बाजी लगाते हैं. हमें अपने सैनिकों पर गर्व है. देश गौरवशाली सैनिकों के इतिहास से भरा-पड़ा है. कार्यक्रम में प्रभात खबर के एमडी केके गोयनका ने धन्यवाद ज्ञापन किया, जबकि झारखंड बिजनेस हेड िवजय बहादूर ने शौर्यगाथा पुस्तक के बारे में जानकारी दी.
एनजीओ प्रतिनिधि ने सीएम से अल्बर्ट एक्का चौक दुरुस्त कराने का किया आग्रह
गैर सरकारी संस्था से जुड़े राजेश दास ने मुख्यमंत्री रघुवर दास से परमवीर अल्बर्ट एक्का चौक को दुरुस्त कराने की मांग की है. शौर्य गाथा के विमोचन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रहे मुख्यमंत्री से उन्होंने आर्यभट्ट सभागार में ही यह गुजारिश की. इस चौक की तसवीर दिखा कर उन्हें बताया कि वहां लोहे के कई रॉड बाहर निकले हुए हैं, जो किसी राही के लिए खतरनाक हो सकते हैं. वहीं गोलंबर की दीवार को भी अौर खूबसूरत बनाया जाना चाहिए. सीएम ने श्री दास को त्वरित कार्रवाई का अाश्वासन दिया है.
झारखंड में जन्म लेकर शहीदों ने पवित्र की है भूमि : गोपाल सिंह
शहीदों के झारखंड में जन्म लेने से यहां की भूमि पवित्र हुई है. स्वतंत्र भारत देश के वीर जवानों के त्याग, तपस्या व बलिदान का ही परिणाम है. उक्त बातें सीसीएल के सीएमडी गोपाल सिंह ने कहा. उन्होंने कहा कि प्रभात खबर द्वारा आयोजित समाराेह अभूतपूर्व है. यह प्रभात खबर का राज्य की मिट्टी के प्रति लगाव दिखाता है. चुनाव के समय लोगों को उनका अधिकार बताने के लिए जागरूकता फैलाना हो या शहीदों के प्रति सम्मान जताने की अभिप्सा, प्रभात खबर झारखंड की जनता की भावनाओं से जुड़ा है.
श्री सिंह ने राज्य सरकार की सराहना करते हुए कहा कि झारखंड सरकार शानदार काम कर रही है. ईज आॅफ डूइंग बिजनेस में 29वें से तीसरे स्थान तक पहुंचना सरकार की इच्छाशक्ति और कार्यों के कारण ही संभव हुआ है. कभी घाटे में रहने वाले सीसीएल ने पिछले एक साल में 11.1 फीसदी का ग्राेथ किया है. यह सरकार का ही जादू है, जो राज्य के केवल आठ जिलों में काम करनेवाली कोयला कंपनी सीसीएल देश की सबसे ज्यादा ग्रोथ करनेवाली कंपनी बन गयी है. श्री सिंह ने कहा कि कुछ लोग नकारात्मक बातें करते हैं, लेकिन वास्तविकता है कि आज सरकार पर आम लोगों का विश्वास काफी बढ़ा है.
जवानों के जीवन से लोगों को सीखने का मौका देगी शौर्यगाथा : संजय कुमार
मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव संजय कुमार ने शौर्यगाथा के प्रकाशन के लिए प्रभात खबर को सराहा. कहा : शौर्यगाथा में वर्णित जवानों के जीवन से सीख मिलती है. इससे बच्चे रोमांचित होंगे और सबक लेंगे. बच्चों को वीर सैनिकों के रूप में रोल मॉडल मिलेगा. 1971 के युद्ध को याद करते हुए श्री कुमार ने बताया : उस समय मैं पांच वर्ष का था, पर सैनिकों की आभा ऐसी थी कि छोटी उम्र में ही मैंने अलबर्ट एक्का को जाना. देश के पहले परमवीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा के बारे में पढ़ा. बाद में मैं आइएएस बना. 1999 में जमशेदपुर का उपायुक्त था.
वह कारगिल युद्ध का समय था. एक दिन सुबह अचानक प्रभात खबर के पहले पन्ने पर दो आदिवासी महिलाओं को धान की रोपनी करते तस्वीर देखी. पता चला वह परमवीर चक्र विजेता अलबर्ट एक्का की पत्नी बलमदीना एक्का है. मन ग्लानि से भर उठा. इसलिए नहीं कि धान की रोपनी ग्लानि वाला काम है, फिर भी परमवीर चक्र विजेता की पत्नी को रोपनी करते देख अच्छा नहीं लगा. हमने प्रभात खबर के साथ मिल कर शहीद की पत्नी की आर्थिक मदद के लिए रुपये इकट्ठा करना शुरू किया. लगभग सवा चार लाख रुपये जमा कर उनको दिये गये.
रुपये इकट्ठा करने के दौरान लोगों, विशेष रूप से पैसे वाले लोगों के व्यवहार से दुख हुआ. अमीरों ने मदद की जगह केवल आवश्वासन दिया. शायद उन्हें लगता है कि इससे उनके जीवन पर कोई फर्क नहीं पड़ता. श्री कुमार ने कहा : 1991 में मैं आइएएस ट्रेनिंग के दौरान सीमा पर गया. वहां मुझसे रात भर भारतीय सीमा से आधा किमी दूर जवानों के साथ रहना पड़ा. मैंने महसूस किया कि सैनिकों को ऐसी कई चीजें करनी पड़ती है, जो बहादुरी नहीं लगती, लेकिन उनको करना बहुत मुश्किल होता है. जहां एक रात बिताना मेरे लिए भारी है, वहां हमारे सैनिक रोज रात देश की रक्षा में तैनात रहते हैं. श्री कुमार ने सैनिकों से प्रेरणा लेने की बात करते हुए कहा : ईमानदारी से जीवन जीने की कोशिश कर रहे हर आदमी में शौर्य है.

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