आगमन का पुण्यकाल झ्र 13

आगमन का पुण्यकाल – 13-पुराने पापों को भूल जाने का समयफोटो ट्रैकएक साधु उपदेश दे रहे थे- हर किसी को धरती की तरह सहनशील व क्षमाशील होना चाहिए़ क्रोध ऐसी आग है, जिसमें क्रोधी व्यक्ति दूसरों को जलाता है और खुद भी जल जाता है़ सभी लोग शांतिपूर्वक प्रवचन सुन रहे थे़ वहां एक क्रोधी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 10, 2015 6:25 PM

आगमन का पुण्यकाल – 13-पुराने पापों को भूल जाने का समयफोटो ट्रैकएक साधु उपदेश दे रहे थे- हर किसी को धरती की तरह सहनशील व क्षमाशील होना चाहिए़ क्रोध ऐसी आग है, जिसमें क्रोधी व्यक्ति दूसरों को जलाता है और खुद भी जल जाता है़ सभी लोग शांतिपूर्वक प्रवचन सुन रहे थे़ वहां एक क्रोधी व्यक्ति भी बैठा था़ उसे साधु की बातें बेतुकी लगी़ वह अचानक आगबबूला होकर कहने लगा-तुम पाखंडी हो़ मेहनत से डरते हो, इसलिए साधु का चोला ओढ़ रखा है़ तुम्हारी ये बातें आज कोई मायने नहीं रखती़ं साधु शांत रहे़ न दुखी हुए, न ही कोई प्रतिक्रिया दी़ यह देखकर वह व्यक्ति और भी क्रोधित हो उठा और साधु के मुंह पर थूक कर वह वहां से चला गया़ दूसरे दिन जब उसका क्रोध शांत हुआ, तो उसे अपने व्यवहार पर पछतावा हुआ़ वह साधु को खोजने निकला, पर वे वहां से जा चुके थे़ पूछते हुए वह शाम को दूसरा गांव पहुंचा, जहां उसने साधु को प्रवचन करते देखा़ वह उनके चरणो में गिर पड़ा और बोला, मुझे क्षमा कीजिए प्रभु! साधु ने पूछा, कौन हो भाई? मुझसे क्यों क्षमा मांग रहे हो? उसने कहा-क्या आप भूल गये? मैं वही हूं, जिसने कल आपके साथ बहुत बुरा व्यवहार किया था़ मैं शर्मिंदा हूं और क्षमायाचना के लिए आया हू़ं साधु ने प्रेमपूर्वक कहा- बीता हुआ कल तो मैं वहीं छोड़ कर आ गया और तुम अब भी वहीं अटके हो़ तुम्हें अपनी गलती का आभास हो गया़ तुमने पश्चाताप कर लिया़ अब तुम निर्मल हो चुके हो़ बीते हुए कल के कारण अपना आज मत बिगाड़ो़हम मनुष्य पिछली गलतियों के बारे में सोच कर बार-बार दुखी होते हैं और खुद को कोसते है़ं हमारे ईश्वर दयालु और क्षमाशील है़ं हमारे कोई भी पाप इतने बड़े नहीं, जिसे ईश्वर क्षमा न कर सके़ं आगमन काल में अपने पुराने पापों के लिए पश्चाताप करें और एक नया जीवन शुरू करे़ं- फादर अशोक कुजूरडॉन बॉस्को यूथ एंड एजुकेशनल सर्विसेज के निदेशक

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