निलंबन पर जरूरी नहीं होगी सीएम की अनुमति
विवेक चंद्र रांची : झारखंड में राजपत्रित पदाधिकारियों के निलंबन के लिए मुख्यमंत्री की अनुमति जरूरी नहीं होगी. जो राजपत्रित पदाधिकारी जिस विभाग में पदस्थापित होगा, वही विभाग उसे निलंबित करने में सक्षम होगा. राज्य सरकार राजपत्रित अधिकारियों के निलंबन से संबंधित नियम में तब्दीली की प्रक्रिया पर विचार कर रही है. फिलहाल, राज्य में […]
विवेक चंद्र
रांची : झारखंड में राजपत्रित पदाधिकारियों के निलंबन के लिए मुख्यमंत्री की अनुमति जरूरी नहीं होगी. जो राजपत्रित पदाधिकारी जिस विभाग में पदस्थापित होगा, वही विभाग उसे निलंबित करने में सक्षम होगा. राज्य सरकार राजपत्रित अधिकारियों के निलंबन से संबंधित नियम में तब्दीली की प्रक्रिया पर विचार कर रही है.
फिलहाल, राज्य में लागू नियमों के अनुसार किसी राजपत्रित पदाधिकारी को निलंबन की सजा देने के लिए मुख्यमंत्री की सहमति जरूरी है. इस प्रक्रिया के तहत प्रखंड विकास पदाधिकारी, अंचलाधिकारी या अभियंता आदि के निलंबन के प्रस्ताव पर विभागीय मंत्री के बाद मुख्यमंत्री की अनुमति की आवश्यकता होती है.
निलंबन की इस प्रक्रिया में होने वाली कठिनाइयों के मद्देनजर सरकार ने इसे सरल बनाने का फैसला किया है. इस मामले में अब निलंबन का अधिकार संबंधित विभाग को ही देने पर विचार किया जा रहा है.
नया नियम लागू होने के बाद राजपत्रित अधिकारियों को उसी विभाग के मंत्री की सहमति के बाद निलंबित कर दिया जायेगा. हालांकि, इन पदाधिकारियों पर विभागीय कार्यवाही चलाने के मामले में पहले से लागू नियम ही प्रभावी रहेंगे. अभी, राजपत्रित आरोपी पदाधिकारियों पर विभागीय कार्यवाही चलाने के लिए उनके पैत्रिक विभाग के अलावा मुख्यमंत्री की अनुमति की आवश्यकता होती है.
शासन में अनुशासन के लिए विभागों को सशक्त करना जरूरी है. इसी के तहत बीडीओ और सीओ जैसे अफसरों के निलंबन का अधिकार उनके पदस्थापन वाले ग्रामीण विकास या राजस्व विभाग को सौंपा जा सकता है. सरकार इस मामले पर गंभीरता से विचार कर रही है. हालांकि, उन अधिकारियों के विभागीय कार्यवाही का संचालन उनके पैतृक विभाग से ही होगा.
– संजय कुमार, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव