झारखंड इको-टूरिज्म पॉलिसी को कैबिनेट ने दी है मंजूरी, नाइट सफारी और ट्रैकिंग को मिलेगा बढ़ावा
रांची : झारखंड की प्राकृतिक सुंदरता को व्यावसायिक रूप देने की तैयारी की गयी है. इसके लिए वन विभाग ने इको-टूरिज्म पॉलिसी बनायी है. इसको कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है. पॉलिसी में राज्य की प्राकृतिक संपदा को नुकसान किये बिना ज्यादा से ज्यादा पर्यटकों को आकर्षित करने की योजना है. इसके लिए राज्य में […]
रांची : झारखंड की प्राकृतिक सुंदरता को व्यावसायिक रूप देने की तैयारी की गयी है. इसके लिए वन विभाग ने इको-टूरिज्म पॉलिसी बनायी है. इसको कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है. पॉलिसी में राज्य की प्राकृतिक संपदा को नुकसान किये बिना ज्यादा से ज्यादा पर्यटकों को आकर्षित करने की योजना है. इसके लिए राज्य में सफारी, ट्रैकिंग व वाटर स्पोर्ट्स को भी बढ़ावा दिया जायेगा. वन विभाग इसका नोडल एजेंसी होगा.
पॉलिसी में प्रावधान किया गया है कि टाइगर हैबिटेट के कोर एरिया में कोई भी नया निर्माण नहीं कराया जायेगा. बफर एरिया को विकसित किया जायेगा. इन स्थानों को विकसित करने के लिए वन विभाग, कला संस्कृति विभाग, पर्यटन विभाग, जल संसाधन विकास विभाग के बीच समन्वय स्थापित कर काम किया जायेगा. इसके माध्यम से लोगों के लिए रोजगार की व्यवस्था की जायेगी. वैसे समूहों को शामिल किया जायेगा, जिनको जंगलों से अभी कोई लाभ नहीं मिल रहा है. स्थानीय लोगों को ज्यादा से ज्यादा जोड़ा जायेगा.
वाइल्ड लाइफ इको-टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए वाइल्ड लाइफ पार्क, सफारी, जू, वॉच टावर विकसित किया जायेगा.
जंगलों में टूरिज्म के उद्देश्य से ज्यादा निवेश किया जायेगा.
एनजीओ, वोलेंटरी एजेंसी को टूरिस्ट स्थानों के प्रमोशन, विकास, विकास करने की विशेषज्ञता पर काम दिया जायेगा.
पूरे क्षेत्र के आर्थिक विकास के लिए ज्यादा से ज्यादा स्थानीय लोगों को प्रोत्साहित किया जायेगा.
कम से कम स्थानीय लोगों व जानवरों को प्रभावित किया जायेगा.
इको-टूरिज्म विकसित करने के समय स्थानीय लोगों के सामाजिक आर्थिक स्थिति और पर्यावरण का पूरा ख्याल रखा जायेगा.
पर्यावरण और सांस्कृतिक जागरूकता फैलायी जायेगी.
आयोजक और पर्यटकों के बीच सकारात्मक अनुभव रखने की कोशिश होगी.
पूरा का पूरा वित्तीय सहयोग पर्यटन स्थलों के संरक्षण पर खर्च किया जायेगा.
ऐसी संरचना का निर्माण किया जायेगा, जिससे पर्यटन स्थल को कम से कम नुकसान हो.
स्थानीय लोगों की सांस्कृतिक भावनाओं का ख्याल रखा जायेगा.
विभिन्न स्टेक होल्डर विभागों व स्थानीय निकायों के साथ समन्वय स्थापित कर काम किया जायेगा.
इको टूरिज्म प्लान बनाते समय प्रोटेक्टेड एरिया में वाइल्ड लाइफ मैनजमेंट प्लान का पूरा ख्याल रखा जायेगा.
इस काम में लगाये जाने वाले लोगों को कॉम्युनिटी आधारित इको टूरिज्म इंटरप्राइजेज, हॉस्पिटलिटी, बिजनेस मैनेजमेंट,कॉम्युनिटी स्किल का प्रशिक्षण दिया जायेगा.
पर्यटन स्थालों पर ज्यादा से ज्यादा गैर पारंपरिक ऊर्जा का उपयोग किया जायेगा.
भारत सरकार और निजी कंपनियों के सहयोग से टेलीकॉम्युनिकेशन की सुविधि रिमोट एरिया में विकसित की जायेगी.
टूरिज्म, कला संस्कृति, उद्योग, वन विभाग और स्थानीय निकायों के बीच तालमेल किया जोयगा.
ट्रैकिंग प्लान और रूट भी तैयार किया जायेगा.
एडवेंचर स्पोर्ट्स को बढ़ावा दिया जायेगा.
हर्बल इको टूरिज्म की संभावना भी खोजी जायेगी.
फोटोग्राफिक सफारी, मंकी क्राउल, बर्मा ब्रिगेड, स्टार गेजिंग, ऊंट की सवारी, बोटिंग, साइकलिंग कराने की भी योजना है.
फिल्म निर्माताओं को ऐसे लोकेशनों पर फिल्म बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा.
इको-टूरिज्म के लिए ब्रांड एंबेसडर बनाये जायेंगे.