उदासीनता: हादसे के इंतजार में हैं अस्पताल
सऊदी अरब के जज़ान जनरल अस्पताल में आग लगने से 25 लोगों की मौत हो गयी है, जबकि 100 से अधिक लोग घायल बताए गए हैं. इस भयावह कांड के परिप्रेक्ष्य में प्रभात खबर ने राजधानी के अस्पतालों का जायजा लिया गया कि वे आगजनी जैसी घटनाओं के लिए कितने तैयार हैं. प्रस्तुत है राजीव […]
सऊदी अरब के जज़ान जनरल अस्पताल में आग लगने से 25 लोगों की मौत हो गयी है, जबकि 100 से अधिक लोग घायल बताए गए हैं. इस भयावह कांड के परिप्रेक्ष्य में प्रभात खबर ने राजधानी के अस्पतालों का जायजा लिया गया कि वे आगजनी जैसी घटनाओं के लिए कितने तैयार हैं. प्रस्तुत है राजीव पांडेय की रिपोर्ट:
रांची़ सऊदी अरब के जजान जनरल हॉस्पिटल में आग लगने के बाद राजधानी के अस्पतालों की सुरक्षा पर सवाल उठने लगा है. राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में भी आग से निबटने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. अस्पताल में फायर सिलिंडर सिस्टम ध्वस्त है. सिलिंडर तो है, लेकिन इसकी वैधता मई में ही खत्म हो गयी है. महत्वपूर्ण यूनिट इमरजेेंसी में लगाये गये सिलिंडरों में जंग लग गया है.
इधर, शहर के बीच में स्थित सदर अस्पताल में भी आग से निबटने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. वहां भी सिर्फ नाम के लिए फायर सिलिंडर लगाये गये हैं, जिसे वर्ष 2013 में लगाया था. इसकी वैधता भी एक साल पहले समाप्त हो गयी है. सिलिंडर में जंग लग गया है. अस्पताल प्रबंधन किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है. एक्सपायर्ड सिलिंडर की रिफिलिंग नहीं की जा रही है.
प्रभात खबर पहले भी कर चुका आगाह
प्रभात खबर आठ दिसंबर के अंक में राजधानी के अस्पताल रिम्स व सदर अस्पताल में फायर फायटिंग की लचर व्यवस्था से संबंधित खबर प्रकाशित कर चुका है. खबर के माध्यम से अगाह करने का प्रयास किया गया है कि अस्पतालों का फायर फायटिंग सिस्टम काम नहीं कर रहा है. बावजूद रिम्स प्रबंधन व सदर अस्पताल प्रबंधन पर कोई असर नहीं पड़ रहा है.
राजधानी में सिर्फ तीन अस्पताल कश्यप आइ मेमोरियल अस्पताल, सेंटेविटा और मेदांता अस्पताल को एनओसी दिया गया है. अन्य अस्पताल ने एनओसी नहीं लिया है. हमारे पास कार्रवाई के लिए कोई अधिकार नहीं है. यह तो नगर निगम को देखना है.
आरके ठाकुर, प्रभारी स्टेट फायर ऑफिसर