श्रम नियोजन प्रशिक्षण और कौशल विकास विभाग के मंत्री राज पालिवार का कहना है कि कंपनियों का चयन निविदा के लिए गठित चयन समिति ने किया है. वह कंपनियों के चयन मामले पर टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं. उनका कहना है कि प्रधान सचिव, मिशन के सीइओ और अन्य की अध्यक्षता में गठित समिति ने सभी औपचारिकताएं पूरी की हैं. इस कार्य में ब्रिटेन की संस्था डिपार्टमेंट फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (डीएफआइडी) के प्रतिनििधयों ने तकनीकी सहायता दी है.
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झारखंड सक्षम कौशल विकास मिशन के पायलट प्रोजेक्ट का मामला, कंपनियों के चयन पर उठ रहे सवाल
रांची: झारखंड सक्षम कौशल विकास मिशन के पायलट प्रोजेक्ट के लिए चयनित कंपनियों का मामला अब विवाद में फंसता जा रहा है. झारखंड कौशल विकास मिशन सोसाइटी की तरफ से पायलट प्रोजेक्ट के तहत 22 कंपनियों का चयन किया गया है़ इनमें से दो ही झारखंड की हैं. श्रम नियोजन प्रशिक्षण और कौशल विकास विभाग […]
रांची: झारखंड सक्षम कौशल विकास मिशन के पायलट प्रोजेक्ट के लिए चयनित कंपनियों का मामला अब विवाद में फंसता जा रहा है. झारखंड कौशल विकास मिशन सोसाइटी की तरफ से पायलट प्रोजेक्ट के तहत 22 कंपनियों का चयन किया गया है़ इनमें से दो ही झारखंड की हैं.
श्रम नियोजन प्रशिक्षण और कौशल विकास विभाग के मंत्री राज पालिवार का कहना है कि कंपनियों का चयन निविदा के लिए गठित चयन समिति ने किया है. वह कंपनियों के चयन मामले पर टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं. उनका कहना है कि प्रधान सचिव, मिशन के सीइओ और अन्य की अध्यक्षता में गठित समिति ने सभी औपचारिकताएं पूरी की हैं. इस कार्य में ब्रिटेन की संस्था डिपार्टमेंट फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (डीएफआइडी) के प्रतिनििधयों ने तकनीकी सहायता दी है.
100 कंपनियों ने दिया था आवेदन
सूत्रों की मानें, तो एक सौ से अधिक आवेदकों के आवेदन की स्क्रीनिंग डीएफआइडी की ओर से ही की गयी है. कंपनी की ओर से ही आवेदकों की तुलनात्मक विवरणी भी तैयार की गयी है. यहां गौर करनेवाली बात है कि डाक से दिये गये आवेदनों को सबसे अंत में खोल कर कागजी खानापूर्ति की गयी. समिति की तरफ से सात से नौ नवंबर तक 73 कंपनियों को प्रेजेंटेशन के लिए बुलाया गया. इनमें कुछ कंपनियों को मेल तक नहीं भेजा गया. कुछ कंपनियों के एक ही तरह के नाम होने से उस कंपनी को बुला लिया गया, जिसने आवेदन ही नहीं दिया था. इनका भी प्रेजेंटेशन लिया गया, तब समिति को पता चला कि कंपनी ने आवेदन ही नहीं दिया था. अधिकतर बाहरी कंपनियों ने कौशल विकास कार्यक्रम चलाने के लिए जिलों में दफ्तर होने अथवा प्रशिक्षण की व्यवस्था होने की बातें कही हैं.
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