रांची: हृदय रोगियों के लिए राहत भरी खबर है. स्टेंट की कीमत अधिकतम 28 हजार रुपये होने की संभावना है. केंद्र सरकार जनवरी के अंत तक इस संबंध में बड़ा फैसला लेने जा रही है, जिसमें स्टेंट को एनपीपीए में शामिल किया जायेगा. इसके बाद कंपनियां मनमाने तरीके से स्टेंट की कीमत निर्धारित नहीं कर पायेंगी. स्टेंट आवश्यक दवा में शामिल हो जायेगा. सूत्रों की मानें तो मेटल स्टेंट की कीमत 20 हजार रुपये व ड्रग एल्युटिंग स्टेंट की कीमत 28 हजार रुपये होगी. एनपीपीए के पदाधिकारियों ने भी माना है कि स्टेंट की वास्तविक कीमत व बाजार मूल्य में काफी अंतर है.
दिल्ली हाइकोर्ट ने दिया था निर्देश
स्टेंट की कीमत को निर्धारित करने के लिए दिल्ली हाइकोर्ट में एक याचिका दायर की गयी थी, जिसकी सुनवाई करते कोर्ट ने बाजार में बिक रही स्टेंट की कीमत पर नजर रखने को कहा था. नेशनल हेल्थ सिस्टम रिसोर्स सेंटर (एनएचएसआरसी) ने माना था कि स्टेंट की कीमत पर कोई कानून नहीं होने से कंपनी और अस्पताल मरीजों से ज्यादा पैसा वसूलती है.
बंगाल में मरीजों को नहीं लगा सकते 42 हजार से अधिक के स्टेंट
पड़ोसी राज्य बंगाल के सरकारी अस्पताल में स्टेंट की कीमत 42 हजार रुपये से अधिक नहीं ली जाती है. बंगाल सरकार ने 20 नवंबर को इस संबंध में आदेश जारी किया है. इसमें यह निर्देश दिया गया है कि एंजियोप्लास्टी के सभी केस में मैटेलिक स्टेंट ही लगाना है. विशेष परिस्थिति में ही ड्रग एल्युटेड स्टेंट का प्रयोग किया जाता है. 42 हजार से ज्यादा के स्टेंट लगाने पर पूरी जानकारी चिकित्सक को देनी होती है.
प्रभात खबर ने उठाया था मुद्दा
प्रभात खबर द्वारा स्टेंट के नाम पर हृदय रोगियों से मनमाना पैसा वसूले जाने की खबर 19 अगस्त को प्रकाशित की गयी थी. इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने टीम बना कर रिम्स सहित निजी अस्पतालों की जांच करायी थी. जांच में टीम ने पाया था कि रिम्स सहित निजी अस्पताल स्टेंट की वास्तविक कीमत से ज्यादा पैसा वसूलते हैं. इसके बाद राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स ने शासी परिषद की बैठक में एम्स के रेट कांट्रेक्ट को अपनाने का निर्णय लिया. स्टेंट की अधिकतम कीमत 65 हजार रुपये तय की.