रांची: कोल इंडिया का और पांच फीसदी विनिवेश नहीं करने पर फिलहाल प्रधानमंत्री और कोयला मंत्री में सहमति बन जाने की सूचना है. दोनों के बीच बैठक में तय किया गया है कि सरकार विनिवेश रोकने के एवज में कोल इंडिया की जमा राशि 13 हजार करोड़ रुपये से कुछ राशि लेगी. बिजनेस टुडे ने जिक्र किया है कि कंपनी पांच फीसदी शेयर बेचती तो वर्तमान न्यूनतम मूल्य से 8600 करोड़ रुपये मिलता. करीब इतनी राशि सरकार ले सकती है. पैसा बाद में वापस कर देगी.
ट्रेड यूनियनों द्वारा 17 दिसंबर से तीन दिनों की हड़ताल की घोषणा के बाद ऐसा किया गया है. बैठक के बाद कोयला मंत्री ने कहा है कि वर्तमान हाल में विनिवेश पर बात हो रही है. अन्य मंत्रियों की राय भी थी कि अभी का माहौल विनिवेश के लायक नहीं है.
सीटू ने किया स्वागत : सीटू से संबद्ध द ऑल इंडिया कोल वर्कर फेडरेशन ने सरकार द्वारा इस दिशा में विचार किये जाने का स्वागत किया है. फेडरेशन के महासचिव सह पूर्व सांसद जीबन राय ने कहा है कि कोल इंडिया के कर्मी सरकार की हर कमी को दूर करने का प्रयास करेगी. जो कोयले की मांग है, उसे पूरा किया जायेगा. मांग और आपूर्ति के गैप को कम किया जायेगा. जबतक इस मामले में अधिकृत घोषणा नहीं हो जाती है, तब तक आंदोलन जारी रहेगा. सीटू नेता आरपी सिंह ने कहा कि हड़ताल पर फिलहाल निर्णय अडिग है. सरकार को चाहिए कि अपनी निर्णय की जानकारी मजदूर यूनियनों को दें.
पेंशन का नहीं दिया आठ हजार रुपये : द झारखंड कोलियरी मजदूर यूनियन के महासचिव ने कहा है कि पेंशन फंड के लिए आठ हजार करोड़ मांगा जा रहा है. नहीं दिया गया है. कर्मचारियों का भविष्य असुरक्षित कर दिया गया है. अब सरकार की नजर कोल इंडिया के 13 हजार करोड़ रुपये के रिजर्व फंड पर है, जिसे मजदूरों ने अपने पसीने की कमाई से जमा किया है.
वरीय अधिकारियों ने किया आगाह : कोल इंडिया की एक अनुषंगी कंपनी के वरीय अधिकारियों ने मजदूरों को पुनर्गठन के मुद्दे पर आगाह किया है. कंपनी के एक वरीय अधिकारी ने यूनियन के नेताओं को बुला कर बताया कि कोल इंडिया के विखंडन की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. इसका विरोध नहीं किया गया तो सभी कंपनियों को अलग-अलग कर दिया जायेगा. विघटन से कोल इंडिया की ताकत खत्म हो जायेगी और हम बेजार हो जायेंगे. इसके बाद कंपनियों का निजीकरण आसान हो जायेगा. इसके बाद यूनियन के सदस्यों ने जल्द बड़ा आंदोलन करने का निर्णय लिया है.