घटना: कानूनी विवाद व कर्ज के बोझ से दबा था उपेंद्र पोद्दार, बच्चों की स्कूल फीस नहीं दे पाया, कर ली खुदकुशी

रांची: सदर थाना क्षेत्र के कोकर डॉन बास्को गली में रहनेवाले उपेंद्र पोद्दार (38वर्ष) ने मंगलवार को फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली. उसका शव कमरे में तार के सहारे पंखे से लटका मिला. घटना के बाद परिजन बचे होने की आस में उसे लेकर रिम्स पहुंचे, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 6, 2016 7:05 AM
an image
रांची: सदर थाना क्षेत्र के कोकर डॉन बास्को गली में रहनेवाले उपेंद्र पोद्दार (38वर्ष) ने मंगलवार को फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली. उसका शव कमरे में तार के सहारे पंखे से लटका मिला. घटना के बाद परिजन बचे होने की आस में उसे लेकर रिम्स पहुंचे, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया. उपेंद्र ने मौत से पहले तीन पन्नों का एक सुसाइड नोट लिखा है.

इधर, घटना के बाद उपेंद्र के भाई जितेंद्र पोद्दार ने थाने में लिखित शिकायत दर्ज करायी है. जितेंद्र के अनुसार सुबह सात बजे उठने के बाद उसके भाई ने चाय पी और अपने कमरे में चला गया. करीब एक घंटे के बाद जब उपेंद्र को नाश्ता के लिए बुलाने उनकी पत्नी कमरे में पहुंची, तब कमरे का दरवाजा बंद मिला. बाद में दरवाजा तोड़ा गया, तो देखा कि उपेंद्र ने फांसी लगा ली है. पुलिस मामले की जांच में जुट गयी है.
क्या था सुसाइड नोट में
मैं तपोवन गली में इलेक्ट्रॉनिक की दुकान चलाता था. दुकान मालिक ने दुकान खाली करने को कहा था. इसके बाद मैंने विजय कुजूर नामक व्यक्ति को एक लाख रुपया दिया और दुकान के बगल में ही दूसरी दुकान बनवायी, लेकिन जमीन मालिक ने विजय पर केस कर दिया. जमीन पर धारा-144 लगा हुआ है. मैंने विजय से रुपये की मांग की थी, ताकि दूसरी जगह दुकान खोज सकूं, लेकिन विजय रुपये वापस नहीं कर रहा है. इस वजह से मैं परेशान हूं. मैं कर्ज से परेशान हो गया हूं. कोर्ट में भी डेट पर डेट मिल रहा है. मेरा दो लड़का अमन दीप और आर्यन सुरेंद्रनाथ स्कूल में पढ़ते हैं. बच्चों की पढ़ाई के लिए न फीस दे पा रहा हूं और न घर चलाने के लिए खर्च. मैं अपनी मरजी से आत्महत्या कर रहा हूं. मुझे भी नॉर्मल जिंदगी जीने का मन कर रहा था.
इंद्रजीत को ठहराया जिम्मेवार
उपेंद्र ने आत्महत्या के इंद्रजीत कुमार नामक व्यक्ति को जिम्मेदार ठहराया है. उपेंद्र ने लिखा है कि मैंने इंद्रजीत कुमार के कहने पर दुकान के नाम पर सीसी अकाउंट खुलावाया था. इंद्रजीत ने ही मुझे पांच लाख का लोन दिलवाया था. लोन दिलवाने के बाद इंद्रजीत ने मुझसे 1. 50 लाख लिया था. लोन निकालने में भी 50 हजार रिश्वत देना पड़ा. मुझे लोन की जरूरत नहीं थी. इंद्रजीत को एक लाख रुपये की जरूरत थी, लेकिन उसने मुझसे पांच लाख का लोन निकलवा लिया. उसके कारण ही मेरी स्थिति खराब होती चली गयी.

Next Article

Exit mobile version