पाताल में जा रहा भूगर्भ जलस्तर
रांची: राजधानी में मानसून को गुजरे चार माह ही हुए हैं. गरमी आना अभी बाकी है, पर राजधानी रांची में अभी से लोग पानी के लिए तरस रहे हैं. शहर का भूगर्भ जल स्तर लगातार नीचे जा रहा है. बगैर सोचे-समझे भूगर्भ जल के दोहन से समस्या और विकराल हो रही है. इसका सीधा असर […]
रांची: राजधानी में मानसून को गुजरे चार माह ही हुए हैं. गरमी आना अभी बाकी है, पर राजधानी रांची में अभी से लोग पानी के लिए तरस रहे हैं. शहर का भूगर्भ जल स्तर लगातार नीचे जा रहा है. बगैर सोचे-समझे भूगर्भ जल के दोहन से समस्या और विकराल हो रही है. इसका सीधा असर शहर में लगाये गये चापानलों पर पड़ रहा है. इस बार ठंड के मौसम में ही हर रोज करीब 25 चापानल सूखने की शिकायत नगर निगम को मिल रही है. अकेले दिसंबर में ही नलकूप सूख जाने की 610 से अधिक शिकायतें मिली हैं. शहर भर में निगम द्वारा लगाये गये 3500 चापानलों में से 800 से पानी नहीं निकल रहा. यह गंभीर जलसंकट का संकेत है.
हरमू व रातू रोड में गंभीर जलसंकट : भूगर्भ जल स्तर के गिरने का सबसे अधिक प्रभाव हरमू हाउसिंग कॉलोनी, किशोरगंज तथा रातू रोड के मधुकम, खादगढ़ा व इंद्रपुरी इलाके पर पड़ा है. रांची नगर निगम ने भी इन्हें जलसंकट से सर्वाधिक प्रभावित इलाके के रूप में चिह्नित किया है. निगम के आंकड़े के अनुसार, इस इलाके में निगम द्वारा लगाये गये 400 चापानलों में से 110 ही पानी दे रहे हैं.
अपार्टमेंट कल्चर से और बढ़ी पानी की किल्लत : रांची शहर में गिरते भूगर्भ जलस्तर का एक कारण बढ़ता अपार्टमेंट कल्चर भी है. एक अपार्टमेंट के लिए साधारणतय: 800 से लेकर 1000 फीट तक गहरी डीप बोरिंग करायी जाती है. इससे भी वाटर लेबल काफी तेजी से नीचे जाता है.
पानी की राशनिंग : रांची में बढ़ते जल संकट के कारण इस बार नवंबर में ही हटिया डैम में पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं होने के कारण राशनिंग की गयी.