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नहीं सुलझा स्थानीयता का मुद्दा, विधानसभा में होंगे तीखे सवाल

रांची: स्थानीयता को लेकर सरकार ने अब तक कोई निर्णय नहीं लिया है़ स्थानीय नीति का मसौदा तैयार करने के लिए सरकार सर्वदलीय बैठक से लेकर बुद्धिजीवियों के साथ भी बैठक कर चुकी है़ अब तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है़. पिछले दिनों भाजपा के जिला स्तरीय पदाधिकारियों के साथ बैठक में मुख्यमंत्री ने […]

रांची: स्थानीयता को लेकर सरकार ने अब तक कोई निर्णय नहीं लिया है़ स्थानीय नीति का मसौदा तैयार करने के लिए सरकार सर्वदलीय बैठक से लेकर बुद्धिजीवियों के साथ भी बैठक कर चुकी है़ अब तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है़.

पिछले दिनों भाजपा के जिला स्तरीय पदाधिकारियों के साथ बैठक में मुख्यमंत्री ने इस वर्ष के अंत तक स्थानीय नीति बनाने की बात भी कही थी़ स्थानीयता का पेंच फंसता देख विपक्ष ने भी रणनीति बनायी है़ विधानसभा के वर्तमान शीतकालीन सत्र में इस मसले पर सरकार को तीखे सवाल झेलने होंगे़ झामुमो और झाविमो ने स्थानीयता के सवाल पर सरकार को घेरने की रणनीति बनायी है़ राज्य में चल रही बहाली में स्थानीय लोगों के हिस्सेदारी की मांग होगी़ झामुमो शिक्षक नियुक्ति से लेकर पुलिस बहाली के मामले में सरकार को घेरेगा़ झामुमो विधायक स्टीफन मरांडी का कहना है कि स्थानीय नीति को लेकर सरकार टालमटोल का रवैया अपना रही है़ झारखंड के लोगों का हक मारा जा रहा है़ नियोजन को लेकर सरकार की कोई स्पष्ट नीति नहीं है़ इस गंभीर मसले पर हम सदन के अंदर सरकार से जवाब मांगेंगे़.
15 वर्षों से होती रही कोशिश पेंच में फंसता रहा मामला
पिछले 15 वर्षों में स्थानीयता नीति को लेकर राजनीति होती रही़ स्थानीयता को सुलझाने के लिए सभी सरकारों ने कोशिश की़ पिछले वर्षों में कई दौर की सर्वदलीय बैठकें हुईं, लेकिन दलों के बीच सहमति नहीं बनी़ सर्वदलीय बैठक में राजनीतिक पार्टियों के बीच कट ऑफ डेट तय करने को लेकर मतभेद रहा. स्थानीयता के सवाल पर राजनीतिक दल अपने-अपने वोट बैंक के हिसाब से बातें करते रहे हैं. सर्वदलीय बैठक में किसी एक बिंदु पर सहमति नहीं बन पायी है. झामुमो सहित झारखंड के दूसरे नामधारी दल 1932 के कट ऑफ डेट पर अड़े रहे, वहीं दूसरे दलों ने इसको लेकर विरोध किया़
हेमंत सरकार ने तैयार किया था ड्राफ्ट, नहीं बनी नीति
स्थानीय नीति को परिभाषित करने के लिए हेमंत सोरेन की सरकार ने तत्कालीन मंत्री राजेंद्र प्रसाद सिंह को संयोजक बनाते हुए कमेटी बनायी थी़ 21 जनवरी 2014 को कमेटी का गठन किया गया था़ कई दौर की बैठकें हुईंं. कमेटी में तत्कालीन मंत्री चंपई सोरेन, गीता श्री उरांव, सुरेश पासवान के अलावा बंधु तिर्की, लोबिन हेंब्रम, डॉ सरफराज अहमद, विद्युत वरण महतो, संजय सिंह यादव को सदस्य बनाया गया. कमेटी ने ड्राफ्ट भी तैयार किया था़ इसमें मूलवासी और झारखंड निवासी के रूप में स्थानीयता को परिभाषित करने का प्रयास किया गया. हेमंत सोरेन सरकार ने ड्राफ्ट जरूर तैयार किया, लेकिन अमली जामा नहीं पहना सकी.
अर्जुन मुंडा सरकार भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी थी
पिछले विधानसभा में जब अर्जुन मुंडा के नेतृत्व में सरकार बनी, तो स्थानीयता का मुद्दा गरमाया. वर्ष 2011 में सरकार ने एक समिति का गठन किया.अर्जुन मुंडा ने भी कमेटी बनायी. दूसरे राज्यों में डोमिसाइल नीति का कमेटी ने अध्ययन भी किया. उस समय कमेटी में तत्कालीन उपमुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और सुदेश कुमार महतो भी थे. कमेटी की तीन-तीन बैठकें हुईं, लेकिन किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचे. तत्कालीन शिक्षा मंत्री बैद्यनाथ राम भी कमेटी के सदस्य थे. अर्जुन मुंडा के शासन काल में भी सरकार किसी नतीजे पर नहीं पहुंची.

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