6th JPSC: छठी जेपीएससी संयुक्त सिविल सेवा प्रतियोगिता परीक्षा से अनुशंसित व नियुक्त 326 अधिकारियों को हाइकोर्ट से कोई राहत नहीं मिली. अब संबंधित अधिकारियों की नौकरी खतरे में आ गयी है. हाइकोर्ट ने बुधवार को अधिकारियों की ओर से दायर अपील याचिकाओं को खारिज करते हुए राहत देने से इनकार कर दिया. हाइकोर्ट ने पूर्व में दिये गये अंतरिम आदेश (हटाने पर रोक) को भी वापस ले लिया.
जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की एकल पीठ के सात जून 2021 के आदेश को सही ठहराते हुए बरकरार रखा. चीफ जस्टिस डॉ रविरंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उक्त फैसला सुनाया. खंडपीठ ने 20 अक्तूबर 2021 को सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था.
एकल पीठ का आदेश उचित नहीं – पूर्व में प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता सुमित गाड़ोदिया, अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा, वैभव गहलोत व शुभम गौतम ने पक्ष रखा. उन्होंने खंडपीठ को बताया था कि छठी जेपीएससी के विज्ञापन की शर्तों के अनुरूप क्वालीफाईंग पेपर (हिंदी व अंग्रेजी) का अंक और मेंस के कुल प्राप्तांक में जोड़ कर मेरिट लिस्ट तैयार किया गया था, जो सही है.
विज्ञापन की शर्तों व नियमावली के अनुसार छठी जेपीएससी की परीक्षा व रिजल्ट की प्रक्रिया पूरी हुई थी. विज्ञापन के अनुसार ही जेपीएससी ने रिजल्ट तैयार कर सरकार को अनुशंसा की थी. इसमें कोई गड़बड़ी नहीं है. एकल पीठ का आदेश उचित नहीं है.
राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने पक्ष रखते हुए एकल पीठ के आदेश का बचाव किया. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार एकल पीठ के आदेश का अनुपालन करेगी. जेपीएससी की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरवाल ने कहा कि वह सरकार के स्टैंड के साथ हैं. वहीं प्रतिवादी की ओर से वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार और अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने पैरवी करते हुए अपील याचिकाओं को खारिज करने का आग्रह किया था. ज्ञात हो कि प्रार्थी शिशिर तिग्गा व अन्य की ओर से अपील याचिका दायर कर एकल पीठ के आदेश को चुनौती दी गयी थी.
एकल पीठ ने अपने फैसले में जेपीएससी के तत्कालीन अधिकारियों पर कार्रवाई का आदेश दिया था. अदालत ने यह व्यवस्था दी थी कि जेपीएससी के संबंधित अधिकारियों, जिनके कारण छठी जेपीएससी रिजल्ट तैयार करने में गलतियां हुई हैं, इसका खामियाजा अभ्यर्थियों को भुगतना पड़ा है. वैसे अधिकारियों के संबंध में जिम्मेवारी तय की जाये. राज्य सरकार उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करे, ताकि भविष्य में इस तरह की दोबारा गलती नहीं हो सके.
महाधिवक्ता राजीव रंजन ने हाइकोर्ट के फैसले पर प्रसन्नता जाहिर की. उन्होंने कहा कि सरकार ने निर्णय लिया था कि एकल पीठ के आदेश के खिलाफ अपील नहीं करेंगे. जेपीएससी ने भी अपील नहीं की थी. एकल पीठ के आदेश का अनुपालन करते हुए जल्द फ्रेश मेरिट लिस्ट निकाल कर नियुक्ति प्रक्रिया पूरी की जायेगी. हाइकोर्ट ने सरकार के निर्णय को सही ठहराया है. अब फ्रेश मेरिट लिस्ट निकालने के बाद सरकार जल्द नियुक्ति प्रक्रिया पूरी कर मामले को बंद करना चाहती है.
हाइकोर्ट के जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की अदालत ने छठी जेपीएससी के मामले में सात जून 2021 को फैसला सुनाते हुए मेरिट लिस्ट को रद्द कर दिया था और आठ सप्ताह में फ्रेश मेरिट लिस्ट जारी करने के लिए कहा था. फ्रेश मेरिट लिस्ट के आधार पर नियुक्ति के लिए राज्य सरकार को अनुशंसा भेजी जाये.
वहीं राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि अनुशंसा प्राप्त होने के एक माह के अंदर अनुशंसित अभ्यर्थियों की नियुक्ति की जाये. साथ ही नौकरी कर रहे 326 अभ्यर्थियों की नियुक्ति को भी अमान्य करार दिया था. अदालत ने फैसले में कहा था कि क्वालिफाईंग पेपर का मार्क्स जोड़ना तथा परीक्षा की शर्तों से संबंधित कंडिका-13 के न्यूनतम निर्धारित मार्क्स के विपरीत फाइनल रिजल्ट जारी करना गलत था.
छठी सिविल सेवा पीटी 18 दिसंबर 2016 को ली गयी थी, जो शुरू से ही विवादों में रही. तीन बार पीटी का रिजल्ट बदला गया. अंतत: आयोग द्वारा मुख्य परीक्षा 29 जनवरी से एक फरवरी 2019 तक ली गयी. इसका रिजल्ट भी फरवरी 2020 में जारी हुआ. इंटरव्यू के लिए 990 अभ्यर्थियों को बुलाया गया. अंतिम रिजल्ट की घोषणा अप्रैल 2020 में की गयी. जिसमें 326 अभ्यर्थी चुने गये. प्रशिक्षण के बाद इन्हें पदस्थापित भी किया गया है. पर इनका अंतिम रिजल्ट प्रकाशन के साथ ही विवाद शुरू हो गया था.
विशेषज्ञ अनिल मिश्र बताते हैं कि सरकार इन सभी को अब नौकरी से हटा सकती है अौर जेपीएससी संशोधित मेरिट लिस्ट जारी कर सकता है. इसमें क्वालीफाइंग पेपर वन के अंक को हटा कर अौर हर विषय में न्यूनतम अहर्तांक लानेवाले अभ्यर्थी को ही सफल घोषित किया जा सकता है. ऐसी स्थिति में कई सफल अभ्यर्थी बाहर हो जायेंगे. इनकी संख्या लगभग 120 हो सकती है. साथ ही मुख्य परीक्षा में असफल घोषित कुछ अभ्यर्थी के चयन की भी संभावना बन सकती है. इस स्थिति में आयोग को फिर से मुख्य परीक्षा के स्तर से ही रिजल्ट संशोधित करना होगा. लेकिन अब सभी अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा के अंक मालूम हो गये हैं, इसलिए इनका इंटरव्यू निष्पक्ष नहीं रह सकता है. आयोग ने अंतिम रिजल्ट के साथ ही अंक पत्र भी जारी कर दिये हैं.
डॉ मिश्र बताते हैं कि इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में निर्णय दिया है कि यदि इंटरव्यू बोर्ड के सदस्य को मुख्य परीक्षा के प्राप्तांक पहले से ज्ञात हों, तो वे किसी अभ्यर्थी के पक्ष या विरोध में परीक्षा परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं. इसलिए गोपनीयता भंग होने अौर मुख्य परीक्षा का प्राप्तांक सार्वजनिक हो जाने पर इंटरव्यू नहीं लिया जा सकता है.
इस प्रकार आयोग के लिए संशोधित रिजल्ट या मेरिट लिस्ट जारी करने में तकनीकी पेच आयेगी. सरकार छठी सिविल सेवा की अधियाचना को वापस लेते हुए पूरी प्रक्रिया को रद्द करते हुए फिर से पीटी परीक्षा ले सकती है या फिर अभ्यर्थियों की मुख्य परीक्षा ली जाये अौर इसमें सफल अभ्यर्थियों का निष्पक्ष तरीके से इंटरव्यू करा कर नियुक्ति प्रक्रिया पूरी की जा सकती है. तीसरी संभावना यह भी है कि चयनित अभ्यर्थी सुप्रीम कोर्ट में अपील कर रिजल्ट को स्टे कराने की गुहार लगा सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं अौर स्टे की लगा सकते हैं गुहार
सरकार चयनित 326 अभ्यर्थियों को नौकरी से हटा सकती है
सरकार जेपीएससी से छठी सिविल सेवा नियुक्ति अधियाचना वापस ले सकती है
जेपीएससी फिर से मुख्य परीक्षा व इंटरव्यू का आयोजन कर रिजल्ट जारी सकता है
Posted by: Pritish Sahay